Jaipur news: राजस्थान में बारिश(rain) का दौर रुकने के साथ ही अब मौसमी बीमारियों (Seasonal diseases)ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। बारिश में ठहरे पानी के कारण जहां मच्छर(Mosquito) जनित बीमारियों का प्रकोप बढ रहा है वहीं मौसमी बुखार के कारण हालात यह बन रहे हैं कि हर घर में कोई ना कोई इसकी चपेट में हैं। प्रदेश के अस्पतालों (Hospital) में भी मौसमी बुखार के सैंकडों मरीज रोजाना इलाज के लिए आ रहें हैं। इसको लेकर चिकित्सकों(Docter) ने लोगों को उमस वाले क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह दी है।
मौसमी बुखार हल्की जुकाम से शुरू होता है जो समय पर इलाज नहीं मिले तो निमोनिया (Pneumonia)में बदल सकता है। पहले इसमें जुकाम के कारण नाक बंद और उसके बाद खांसी शुरू हो जाती है। इसके साथ ही रोगी को गले में चुभन महसूस होती है। इसके बाद हल्का बुखार और शरीर में जकडन होने लगती है।
मौसमी बुखार (फ्लू) (Seasonal fever flu)का मुख्य कारण उमस भरा वातावरण है। व्यक्ति को उमस के कारण गर्मी का अहसास होता है जबकि तापमान ज्यादा नहीं है। ऐसे में वह एसी या कूलर चलाकर तापमान को नियंत्रित करते हैं। ऐसे में एसी या कूलर की हवा के कारण गले में चुभन होती है जिसके कारण जुकाम (common cold)और खांसी(cough) शुरू हो जाती है और फिर उसके बाद बुखार आ जाता है।
फ्लू से बचने के लिए कूलर और एसी का उपयोग कम कर देना चाहिए साथ ही उमस भरे वातावरण से भी दूर रहना चाहिए। इसके अलावा एकदम से कम तापमान वाले स्थान पर जाने से बचना चाहिए। लोगों को बुखार के मरीज से भी दूर रहने के साथ ही स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए।
मौसमी में हो रहे बदलाव के कारण बुखार बढ रहा है। ऐसे में मरीज को घर पर ही दवाएं लेने से परहेज करना चाहिए और समय समय पर मरीज के शरीर का तापमान भी नापते रहें। बुखार 100 डिग्री से ज्यादा होने पर तत्काल चिकित्सक से सलाह लें। ज्यादा दिनों तक बुखार रहने पर निमोनिया हो सकता है।