शनि देव का तीस वर्ष बाद मकर राशि में प्रवेश पिता-पुत्र सूर्य, शनि का अद्भुत मिलन शुभा-शुभ योग

liyaquat Ali
3 Min Read

Tonk News –  शनि देव 24 जनवरी शुक्रवार को सुबह 9.56 बजे उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के दूसरे चरण में प्रवेश करेगें। उस समय चन्द्रदेव उत्तराषाढ़ा के दूसरे चरण एवं सूर्य देव उत्तराषाढ़ा के चौथे चरण में विचरण करेगें। नक्षत्र स्वामी स्वंय सूर्य देव है। शनि देव चिन्तनशील गहराईयों में जाने वाला सन्यासी खोज करने वाला कर्मो का पाठ पढ़ाने वाला दंडाधिकारी न्यायाधीश 30 वर्ष बाद अपनी मकर राशि में प्रवेश कर रहे है।

जिनका आत्मकारक एवं राजयोग कारक सूर्य देव एवं मन के कारक उच्च शिखर पर ले जाने वाले चन्द्रदेव से सूर्य के नक्षत्र में अद्भुत संयोग बन रहा है। यद्यपि सूर्य देव प्रतिवर्ष जनवरी में मकर राशि में प्रवेश करते है किन्तु 1990 के बाद इनका मिलन नही हुआ, जिनका इस वर्ष मकर राशि में हो रहा है, जो कर्म एवं न्याय के क्षैत्र में अनोखा संयोग बनायेगा। आध्यात्मिक रूप से शनि देव रात्रि के देवता है तथा सूर्य देव दिन के देवता है।

इस तरह कर्म के देवता शनि आत्मा के कारक सूर्य मन के कारक चन्द्रमा द्वारा तालमेल बिठाने का अद्भुत समय होगा। मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान टोंक के  निदेशक बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि स्वतंत्र भारत की लग्न कुंडली में शनि देव नवम एवं दशम भाव के स्वामी केन्द्र व त्रिकोण के योग कारक है, जो गोचर में नवम भाव  चन्द्र राशि कर्क से सप्तम भाव मकर राशि में विचरण करने से गुरू, शुक्र जो गोचर में शनि से द्वादश एवं द्वितीय भाव में होने से मंगल वृश्चिक राशि में होने से विदेशों से मधुर संबंधों में अपना वर्चस्व बढ़ेगा।

अर्थव्यवस्था राजनैतिक, भौगालिक, प्राकृतिक, आपदाओं, आध्यात्मिक, धर्म संबंधी, मंत्रणा कर अराजकताओं एवं विपदाओं से छुटकारा दिलायेगें। न्यायपालिका के द्वारा अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये जायेगें। विवाह मांगलिक कार्यो दामपत्य जीवन में आ रही बाधाओं का निराकरण कर पूर्ण सहयोग  कर सफलता दिलायेगें। बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि मकर राशि में भ्रमण करते समय मिथुन व तुला राशि वालो को शनि की ढैया एवं धनु, मकर, कुंभ राशि वालो को साढे साथी योग का प्रभाव रहेगा।

मेष, कर्क, वृश्चिक राशि वालो को ताम्रपाद फल सामाजिक सक्रियता से मान सम्मान की प्राप्ति वृष, कन्या, धनु राशि वालो को रजत पाद फल यशमान धन प्राप्ति, मिथुन, तुला, कुभ राशि वालो को लोहपाद संघर्ष से लाभ प्राप्त वाद-विवाद भय, सिंह, मकर, मीन राशि वालो को सवर्ण पाद फल शारीरिक कष्ट अनावश्यक खर्च का फल देगें।

जिनकी जन्म कुंडली में शनि देव नेष्ठ स्थान पर स्थित हो तथा दशा अन्तर दशा शुभ हो तो उसके अशुभ फलों का प्रभाव न्यूनतम होगा। शनि के अनिष्ठ फल निवाणार्थ तेल, छाया, पात्र, दान, शनि मंत्र का जाप दक्षांश, हवन, शनिवार का व्रत, सप्तधान्य दान, पीपल की पूजा करने से अशुभ फलों में कमी आयेगी।

Share This Article
Follow:
Sub Editor @dainikreporters.com, Provide you real and authentic fact news at Dainik Reporter.