शीतला अष्टमी क्यों और कब मुहूर्त

liyaquat Ali
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Bhilwara News / चेतन ठठेरा । चैत्र मास की कृष्णपक्ष की सप्तमी को शीतला सप्तमी और चैत्र मास की कृष्णपक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। ज्योतिष नगरी कारोई के ज्योतिष पण्डित गोपाल उपाध्याय पुत्र ऑआनू उपाध्याय ने बताया की यह त्योहार होली के बाद मनाया जाता है। कई जगह इसे बासौड़ा भी कहते हैं। यह होली के आठ दिन बाद मनाया जाता है।

इस त्योहार में शीतला माता की पूजा की जाती है और उन्हे बासी खाने का भोग लगाया जाता है। इसके लिए सप्तमी की रात को बासी भोजन बनाया जाता है और सुबह शीतला माता की पूजा कर प्रसाद के रुप में खाया जाता है। मान्यता है कि माता शीतला का व्रत रखने से बीमारियां दूर होती हैं। इस बार शीतला सप्तमी 15 मार्च को शुरू होगी। वहीं शीतला अष्टमी 16 मार्च को है।

इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से व्यक्ति को चेचक, खसरा जैसे रोगों का प्रकोप नहीं रहता। मान्यता के अनुसार शीतला माता को ठंडी चीजें बहुत प्रिय होती है। शीतला सप्तमी और अष्टमी को ठंडी चीजों का भोग लगाया जाता है । उन्होंने बताया की शीतला अष्टमी को पूजा का मुहूर्त यह होगा ।

शीतला अष्टमी पर पूजा का मुहूर्त -सुबह 6:46 बजे सवेरे से शाम 06:48 शाम बजे तक है।
राहू काल- 7.31 से 9.01 बजे सवेले तक पूजा वर्जित होगी

शीतला अष्टमी 2020 16 मार्च 03:19 बजे से
शीतला अष्टमी 2020  17 मार्च 02:59 बजे तक

सम्प्रदाय,रीति-रिवाज कितने एक नजर

संपूर्ण विश्व में मुख्यतः तीन धर्म सम्प्रदाय है । जिसमें सबसे सर्वाधिक सम्प्रदाय के पास 58 रीति रिवाज अर्थात लाजिक्स है ।तथा 4 त्यौहार है
जो मानव जीवन को सफल सुरक्षित बनाते है ।

दूसरे स्थान के संप्रदाय के पास 152 रीति रिवाज है और 5 त्यौहार है । तीसरे स्थान पर जो सबसे कम है वे हिन्दू संप्रदाय में आते है ।जिनके पास 18654 (अक्षरी अट्ठारह हजार छः सौ चोपन ) रीति रिवाज है और 159 तीज त्यौहार है । ( एक सौ उनसाठ ) और हर धर्म में जो भी तीज त्यौहार है उनका वैज्ञानिक महत्व रहता है । और वह हमारे मनीषियों का शोधकार्य का दस्तावेज होता है ।

1968 में अमेरिकन रिपोर्टर में एक रिसर्च पेपर का उद्धरण था की जर्मनी में एक शोध संस्थान में शीतला सप्तमी के भोजन का एब्सट्रैक्ट निकाला गया तो स्माल पाक्स का वैक्सीन तैयार हो गया था । तमाम वैज्ञानिक आश्चर्यचकित थे भारतीय भोजन की उत्कृष्ट उपयोगिता के लिए

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