शाहपुरा के कवि सम्मेलन में कुमार विश्वास का दिखा जलवा
Shahpura News/ मूलचन्द पेसवानी । अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के वार्षिकोत्सव फूलडोल महोत्सव के मौके पर नगर पालिका शाहपुरा द्वारा गुरूवार को रात्रि में कालेज ग्राउंड पर आयोजित कवि सम्मेलन में देश के प्रख्यात नामची कवियों ने किया काव्य पाठ। प्रख्यात कवि डा. कुमार विश्वास की अगुवाई में पहुंची कवियों की टीम ने आज अलसुबह तक अपना जलवा दिखा कर खूब वाही वाही बटोरी।
मध्य रात ढाई बजे तक चला काव्य सम्मेलन में कवियों ने अपनी रचनाओं से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सभी ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी। सम्मेलन में जिले के विभिनन गावों के अलावा आस पास के जिलों से भी श्रोता पहुंचे। पुलिस व प्रशासन की ओर से भीड को देखते हुए अतिरिक्त इंतजाम किये गये थे।
अपनी राजकीय सेवा करने के बाद शाहपुरा में करीब 25 वर्ष बाद डा. कुमार विश्वास का नगर पालिका अध्यक्ष किरण तोषनीवाल, उपाध्यक्ष नमन ओझा, मेला संयोयक रमेश सेन, प्रतिपक्ष नेता मोहन गुर्जर ने आकर्षक पेन्टिंग भेंट कर व मेवाड़ी पगड़ी पहना कर स्वागत किया।
सम्मेलन में देश भर के जाने माने कवियों ने शिरकत की। सम्मेलन में कविता सुनने बड़ी संख्या में महिलाएं भी पहुंची थी। भोर तक चले कवि सम्मेलन में मंच संचालन करते हुए प्रख्यात कवि हिंदी साहित्य के नामचीन कवि कुमार विश्वास ने शाहपुरा से अपना पुराना नाता रहने की बात कहते हुए कहा कि शाहपुरा का उस पर अहसान है।
मैं अपने गीत गजलों से उसे पैगाम देता हूं, जख्म भर जाएंगे तुम मिलो तो सही.. जैसी मार्मिक रचनाओं, पैरोडी और व्यंग्य रचनाओं से डा. कुमार विश्वास ने अपनी प्रेम कहानी के बारे में बताया जो शाहपुरा से जुड़ी हुई थी। कुमार विश्वास की पहली राजकीय सेवा शाहपुरा के राजकीय प्रतापसिंह बारहठ महाविद्यालय में ऐसासियेट प्रोफेसर के रूप में हुई।
जिस समय में हुए प्रेम के बारे में कुमार विश्वास ने अपने बारे में बताया कि शाहपुरा से बड़ी धरती मेरे लिए हो ही नहीं सकती। शाहपुरा मेरे दिल और जिगर में समाया हुआ हैं।
कवि सम्मेलन के दौरान कुमार विश्वास ने कहा वह पल आज भी मुझे याद आते हैं उन पलों को मैं भुला नहीं सकता हूं। जो प्रेम कहानी मेरे साथ शाहपुरा में हुई। जहां से मैं उठा हूं आज मैं जो सब कुछ भी हूं सिर्फ और सिर्फ शाहपुरा की वजह से हूं। शाहपुरा से मेरा व्यवसायिक जीवन ओर निजी जीवन दोनों ही शुरू हुआ है।
कविता तिवारी ने सरस्वती वंदना मां हम सब पर कृपा बरसा दो.. से सम्मेलन का आगाज किया। वीर रस की कवियत्री ने महिलाओ ओर बेटियों पर आधारित वीर रस से ओतप्रोत कविता सुना कर सभी को रोमाचिंत कर दिया। उन्होंने कहा कि कोई जर्रा नहीं ऐसा जहां रब नहीं होता, लड़ाई वे ही लड़ते हैं जिन्हें मतलब नहीं होता। तिवारी ने परिवार पर बोझ बढ़ा तो ऑटो-रिक्शा, ट्रेन को चलाने लगी बेटियां।
वीर की शहादत पर अर्थी को कंधा देकर श्मशान तक भी अब जाने लगी है बेटियां सुनाकर खूब दाद बटोरी। तिवारी ने जब कोई जर्रा नहीं ऐसा जहां पर रब नहीं होता, लड़ाई वे ही लड़ते हैं जिन्हें मतलब नहीं होता, मंदिर और मस्जिद पर लडने वालों, वतन से बढ़कर दुनिया में कोई मजहब नहीं होता, सुनायी तो तालियों की गड़गड़ाहट गुंज उठी।
कवि अमन अक्षर ने राम पर कविता करते हुए खूब तालियां बटोरी। अमन अक्षर ने सारा जग है प्रेरणा भाव सिर्फ राम हैं…. जैसी कविताओं से लोगो को मंत्रमुग्ध कर दिया। अमन अक्षर ने अपनी कविता में आज केकई अगर राम के बनवास के लिए दशरथ को प्रेरित नहीं करती तो आज राम-राम पूजनीय राम वो राम नहीं होते जो आज है, जैसी कविताओं से लोगों को भावविभोर कर दिया।
हंसी के ठहाके के साथ शुरूआत करने वाले कवि संपत सरल ने पीएम मोदी की मन की बात पर एक कविता लिखी। जिसको संपत सरल ने शाहपुरा की धरती पर सुनाया। जिससे लोगों की हंसी लोगों के बस में नहीं रही। संपत सरल ने हास्य व्यंग और मार्मिक कविताओं से लोगों को हंसने पर मजबूर कर दिया और तालियां बटोरी।
संपत सरल ने अपनी मन की बात कविता में कहा बात काम की हो या मन की.. होती तो बात ही है…. जैसी हास्य रस की कविताओं से लोगों को हंसने पर मजबूर कर दिया।