आत्मज्ञान ही प्रभु का ज्ञान है- संत जगपाल सिंह

Manish Bagdi
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देवली।

देवली में मंगलवार को सन्त निरंकारी मण्डल के सन्त जगपाल सिंह ने अपने प्रवचनों में कहा कि 84 लाख योनियों में मानव योनि को सबसे उत्तम माना गया है। लाखों योनियों के बाद मनुष्य जीवन का मौका मिलता है। इसे व्यर्थ नहीं गवाना चाहिए।

            सन्त जगपाल शहर के कोटा रोड स्थित एक होटल में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं कौन हूं का ज्ञान होना ही परमात्मा का ज्ञान होना है। शरीर मनुष्य का होने से नहीं, बल्कि जीवन मनुष्य का होना सार्थक है। प्रवक्ता एडवोकेट शेरू सिंह प्रतिहार ने बताया कि सत्संग में कई संत, भक्त व गणमान्यजन इस सत्संग में शामिल थे।

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परिचय- वर्ष 2000 से पिता श्री राजेन्द्र बागड़ी के मार्गदर्शन में पत्रकारिता क्षेत्र में प्रवेश किया। इस दौरान पत्रकारिता की शुरुआत कम्प्यूटर पर खबरे कम्पोज करने के साथ हुई। इसके साथ ही देवली में राजस्थान पत्रिका में प्रेस फोटोग्राफर व सहायक संवाददाता के रूप में काम किया। इस दौरान क्राइम, जनसमस्या, घटना, दुर्घटना, राजनैतिक आयोजन, धार्मिक से जुड़ी कई खबरें व स्टोरी कवर की। वर्ष 2009 से राजस्थान पत्रिका के भीलवाड़ा संस्करण में भी रिपोर्टर का कार्य शुरू किया। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में 2017 से A1 TV rajasthan न्यूज़ चैनल में देवली रिपोर्टर के रूप में कार्यरत।
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