करोड़ों की लागत के सरकारी स्कूल भवन उपयोग के बिना जर्जर पड़े हैं। इन भवनों में चल रहे स्कूल मर्ज होने के बाद से इनकी देखरेख नहीं हो रही। ग्रामीणो ने इन भवनों का कोई सार्वजनिक उपयोग करने की मांग की है। माताजी के रास्ते स्थित बालिका विद्यालय का भवन , रैगर बस्ती स्थित प्राथमिक विद्यालय का भवन ।वर्षो तक इनमें स्कूल चला पर बाद में कम नामांकन के नाम पर इसे बस स्टेंड स्थित राजकीय उच्च मध्यमिक विद्यालय में मर्ज कर दिया गया मर्ज हुई स्कूलों के भवन अब वीरान पड़े हैं और अब शराबी और समाजकंटकों का अड्डा बने हुए हैं। इन भवनों में अगर सरकार कोई कार्यालय खोल दे तो इनकी दशा सुधर जाएगी तथा असामाजिक गतिविधियों पर भी रोक लगेगी।
सर्वे के आधार पर किया था मर्ज
शिक्षा विभाग ने सर्वे में बड़े विद्यालय से छोटे विद्यालयों की दूरी, नामांकन, शिक्षक अनुपात आदि जानकारी प्राप्त कर प्राथमिक, उच्च प्राथमिक या माध्यमिक विद्यालय जहां विद्यार्थियों का नामांकन 30 से कम था। उन्हें नजदीक उसी ग्राम पंचायत के बड़े विद्यालयों में मर्ज किया गया था। हालांकि इसके बाद कई विद्यालयों को फिर से संचालित करने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने प्रदर्शन भी किया।
भवन बने समाजकंटकों की शरण स्थली
मर्ज होने के बाद लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए विद्यालय भवन अनुपयोगी साबित हो गए । हालांकि भवन के अभाव में कई स्कूल मर्ज होने के बावजूद उसी भवन में संचालित किए जा रहे थे। इसके अलावा भी लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए भवन नाकारा साबित होकर समाजकंटकों की शरण स्थली बने हुए है।