सवाईमाधोपुर। प्रदेश में जहां भी टाइगर होंगे, वहां रणथम्भौर टाइगर रिजर्व का नाम जरूर आएगा। रणथम्भौर ही जिसकी वजह से आज राजस्थान का नाम देश के उन राज्यों में शामिल हैं, जहां पर टाइगर पाए जाते हैं। पूरी अरावली पर्वत श्रृंखला में किसी समय में बाघ ही बाघ हुआ करते थे।
लेकिन धीरे धीरे शिकार व घटते जंगल की वजह से वे सिमटते गए। 2005 तक हालात ये हो गए कि सिर्फ पर्वत श्रृंखला स्थित रणथम्भौर के जंगल में ही बाघ बचे रह गए थे। उस समय 18 बाघ थे।
लेकिन इसके बाद वन विभाग के संरक्षण व स्थानीय स्तर पर किए गए प्रयासों से आज उनकी संख्या 78 तक पहुंच गई है। ये ही नहीं सरिस्का, रामगढ़ व मुंकुंदरा टाइगर रिजर्व में यहां से बाघ भेजे गए। वे अब धीरे-धीरे आबाद हो रहे हैं।
रणथम्भौर की ताकत
1. रणथम्भौर वाइल्ड लाइफ फिल्म मेकरों के लिए पसंदीदा जगह है। यहां गर्मियों में तो उनका तांता लगा रहा है। इसी प्रकार वाइल्ड लाइफ फोटाग्राफरों को यहां सपाट जंगल भाता है।
2. पूरी अरावली पर्वत श्रृंखला में किसी समय में बाघ हुआ करते थे। लेकिन अब सिर्फ पर्वत श्रृंखला के रणथम्भौर की जंगल में ही बाघ बचे हैं।
3. रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के बीच पुरातन रणथम्भौर दुर्ग सहित करीब दो दर्जन पुरा स्मारकों का खजाना है। जिनका इतिहास अपने आप में गौरवान्वित करता है।
4. देश के अन्य टाइगर रिजर्व की तुलना में रणथम्भौर में बाघों की सर्वाइवल रेट ज्यादा है। बाघों की निगरानी में भी टाइगर रिजर्व रोल मॉडल है।
5. दुनिया का सबसे ज्यादा गर्म एवं कम पानी वाला टाइगर रिजर्व है। इसके बावजूद यहां पर बाघों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।
6. दिल्ली एवं मुंबई से कनेक्टीविटी भी इस टाइगर रिजर्व की सबसे अच्छी है। टे्रन आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
7. प्रकृति के बीच सुविधा युक्त लग्जरी होटलें भी यहां अलग पहचान रखती हैं। रणथम्भौर के आसपास इन होटलों में प्राकृतिक छटा पर्यटकों खासी पसंद आती है।