राजस्थान नगर निकायों का कार्यकाल सोमवार को होगा समाप्त, नए सभापतियों का होगा चुनाव

liyaquat Ali
4 Min Read

Jaipur News / Dainik reporter :  राजधानी जयपुर के साथ जोधपुर और कोटा में सोमवार 25 नवंबर को शहरी सरकार के कार्यकाल का आखिरी दिन होगा। इसके बाद इन तीनों ही शहरों में निकायों की कमान सरकार की ओर से नियुक्त किए जाने वाले प्रशासक के हाथ में आ जाएगी। फिलहाल इन तीनों शहरों में से दो शहर जोधपुर व कोटा में भाजपा का ही बोर्ड और मेयर है, जबकि जयपुर में बोर्ड तो भाजपा का है, लेकिन भाजपा के बागी पार्षद विष्णु लाटा कांग्रेस समर्थन से मेयर बने हुए हैं।

जयपुर नगर निगम की बात करें तो यहां पहली बार एक ही कार्यकाल में तीन मेयर आए। पहले दो साल निर्मल नाहटा जयपुर के मेयर चुने गए। हिंगौनिया गौशाला में गायों की मौत के प्रकरण के बाद उन्हें हटाकर उनकी जगह अशोक लाहोटी को जयपुर का मेयर बनाया गया। वर्ष, 2018 में विधानसभा चुनाव में विधायक चुने जाने के बाद लाहोटी ने मेयर पद से इस्तीफा दे दिया।

इसके बाद कांग्रेस के समर्थन से भाजपा के बागी पार्षद विष्णु लाटा जयपुर के मेयर बने।

इन तीनों ही शहरों की 6 निकायों में चुनाव जल्द होने की भी कवायद शुरू हो गई है। क्योंकि जिस तरह से राज्य सरकार ने इन निकायों में वार्डों के सीमांकन करने की समयावधि को दो बार कम करके 5 जनवरी कर दिया है।

ऐसे में संभावना है कि फरवरी या मार्च, 2020 में इन निकायों में चुनाव करवाए जा सकते हैं। वहीं सरकार भी अब चाहती है कि इन निकायों में चुनाव जल्द हो। हाल ही में 49 निकायों में हुए चुनावों के परिणामों को देखकर सरकार उत्साहित है और इस माहौल का इन निगम के चुनावों में भी लाभ मिल सकता है।

– सामाजिक पेंशन  (वृद्धावस्था, विधवा)। क्योंकि इन आवेदनों पर वैरिफिकेशन पार्षद ही करते हैं।

– मृत्यु के बाद प्रोपर्टी विवाद सजरा रिपोर्ट पर भी पार्षद करता।

– नई रोड लाइट लगवाने, सीवर चैम्बर की सफाई करवाने व टूट-फूट आदि ठीक करवाने के लिए भी पार्षद की लिखित सिफारिश जाती है।

-राशन कार्ड, भामाशाह कार्ड सहित अन्य सरकारी दस्तावेज बनाने में भी कई जगह पार्षद के हस्ताक्षर व मोहर लगती है।

शहरी सरकारों का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही इन निगमों में आमजन से जुड़े कार्यों के लिए बनी संचालन समितियां भी भंग हो जाएंगे। समितियों के भंग होने के बाद आमजन से जुड़े कई अहम प्रस्ताव अटक जाएंगे। इसमें डेयरी बूथों, पान बूथ के आवंटन, भवन मानचित्रों के अनुमोदन के अलावा अनुकम्पा नियुक्ति सहित कई अहम निर्णयों के प्रस्ताव अटक जाएंगे।

हालांकि सरकार इन समितियों के अधिकार प्रशासक को भी दे सकती है, लेकिन ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि इन अधिकारों का प्रशासन बहुत ही कम उपयोग करते हैं।

अभी ये हैं इन निकायों के मुखिया

नगर निगम जयपुर: विष्णु लाटा।

नगर निगम कोटा: महेश विजय।

नगर निगम जोधपुर: घनश्याम ओझा।

 

Share This Article
Follow:
Sub Editor @dainikreporters.com, Provide you real and authentic fact news at Dainik Reporter.