पीसीसी में लगाई फरियाद
Jaipur News : राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री पर एक थानेदार भारी पड़ गया। थाने में मामला दर्ज करवाने के लिए मंत्री को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आमजनता के लिए होनी वाली जनसुनवाई में गुहार लगानी पड़ी।
मंगलवार को पीसीसी में चल रही नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल की जनसुनवाई के दौरान उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा भी वहां कुछ फरियादियों के साथ पहुंचे। मंत्री मीणा ने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए पुलिस प्रशासन के खिलाफ लापरवाही की शिकायत यूडीएच मंत्री से की।
मंत्री की जनसुनवाई में सरकार के ही दूसरे मंत्री को ऐसे फरियादियों के साथ आता देख एक बार तो कांग्रेस पदाधिकारी भी चौंक गए। लेकिन बाद में मंत्री की शिकायत को भी जनसुनवाई प्रक्रिया में लेते हुए जयपुर पुलिस कमिश्नर को कार्रवाई के भेज दिया गया। मामला एक विवाहिता की मौत से जुड़ा था। इधर इस मामले में बह्मïपुरी थाना इंचार्ज भारत सिंह राठौड़ ने कहा मामला उनके थाना क्षेत्र से संबंधित नहीं था।
पीसीसी जनसुनवाई में पहुंचे उद्योग मंत्री ने यूडीएच मंत्री को बताया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र की एक महिला की मृत्यु के बाद उसके परिजन ब्रह्मïपुरी थाने में मुकदमा दर्ज कराने पहुंचे। यहां तक खुद मैंने भी तीन बार थाना इंचार्ज को मुकदमा दर्ज करने के लिए कह दिया। इसके बावजूद पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया।
उद्योग मंत्री ने धारीवाल को लिखित में शिकायत भी सौंपी। मीणा के साथ मृतक महिला के पिता सावलराम भी थे। सावल राम ने भी अपनी बेटी की हत्या का अंदेशा जताते हुए कहा कि 28 जनवरी को उसे मार दिया गया। वो अपने पति के साथ जगतपुरा में रहती थी। पुलिस मामला दर्ज नहीं कर रही है। थाना इंचार्ज छुट्टी पर चले गए। हारकर हमने मंत्री मीणा से गुहार की है।
धारीवाल ने इस पूरे प्रकरण को सुनने के बाद मामले को जयपुर कमिश्नर के पास भेजने के लिए निर्देशित किया।
मामले में बह्मपुरी थाना इंचार्ज ने बताया कि मृतक महिला का अंतिम संस्कार परिवारवालों की मौजूदगी में बामनवास में किया गया था। मामला दर्ज करवाने आए लोगों को यह तीन-चार बार समझा दिया। अफसरों को भी मामले की जानकारी दे दी गई थी।
प्रदेश में सत्ता की कमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास आते ही उन्होंने पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर साफ निर्देश दिए थे कि थाने में आने वाले हर फरियादी की शिकायत दर्ज होनी चाहिए। उसके बावजूद पुलिस अधिकारियों का यह रवैया बार-बार देखने को मिल रहा है।
ऐसा पहली बार नहीं है जब सत्ता में बैठे मंत्री और विधायकों ने प्रशासन में बैठे लोगों की कार्यशैली पर सवाल उठाएं हो। पिछले सप्ताह ही सवाई माधोपुर विधायक दानिश अबरार ने बजरी माफिया और पुलिस की साठगांठ का खुलासा किया था। इसके पिछले महीने पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने अपने ही महकमे के अधिकारियों पर उनकी बात नहीं सुनने का और मनमानी करने का आरोप लगाया था।