आम चुनाव से पहले ही महागठबंधन फुस्स

liyaquat Ali
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मायावती ने लगाया पलीता

नई दिल्ली।  देश में अगले वर्ष होेने वाले आम चुनाव में महागठबंधन कर बीजेपी को सत्ता से बाहर करने का सपना देख रही कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है। बुधवार को बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने कांग्रेस पर निशाना साधकर साबित कर दिया कि वो चुनावों में कांग्रेस का साथ नहीं देने वाली है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह में बडे नेताओं के बीच हुई जुगलबंदी के बाद राजनीतिक पंडितों ने ये कयास लगाने शुरू कर दिए थे कि 2019 के लिए बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन लगभग बनकर तैयार है।

कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह में देश के कोने-कोने से विरोधी दलों के नेता इकट्ठा हुए थे, यहां मायावती और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के बीच दिखी गर्मजोशी से सभी हैरान थे। सोनिया गांधी ने कई बार मायावती को गले लगाया था और कई बार मीडिया के सामने दोनों ने मिलकर हाथ ऊपर उठाया था।

इसके बाद सिर्फ चार महीने में ही महागठबंधन को पलीता लग गया। बसपा प्रमुख मायावती ने राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ में बिना कांग्रेस के चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। इससे ये बात भी साबित हो गई कि अगले लोकसभा चुनावों में बसपा किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी। पहले मायावती कर्नाटक विधानसभा चुनाव भी क्षेत्रीय पार्टियों के साथ मिलकर लड़ चुकी हैं।

माना जा रहा है कि महागठबंधन से पहले कांग्रेस की वजह से किनारा करने वालीं बीएसपी पहली पार्टी है लेकिन चुनावों तक अन्य क्षेत्रीय दल भी इस गठबंधन से छिटक सकते हैं। ऐसे में उत्तरप्रदेश की स्थिति रोचक होगी, अगर अखिलेश यादव मायावती के साथ जाते हैं तो उन्हें कांग्रेस से सारे रिश्ते खत्म करने होंगे और नहीं तो कांग्रेस के साथ जाने के लिए सपा को बीएसपी का साथ छोड़ना होगा। इसके अलावा ममता बनर्जी, टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू, शरद पवार की एनसीपी और डीएमके ने अपनी राजनीतिक गतिविधियों से ये साबित कर दिया है कि वो कांग्रेस से किनारा कर सकती है।

दिग्विजय सिंह को बताया कारण

बुधवार को मायावती ने एक प्रेस वार्ता कर कहा है कि बीजेपी की तरह कांग्रेस भी बहुजन समाज पार्टी को खत्म करना चाहती है। माया ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी में बहुत घमंड है और सत्ता से जाने के बाद भी उसका अहंकार खत्म नहीं हुआ है। माया ने कहा कि बीएसपी के समर्थन से सरकार में होने के बावजूद कांग्रेस ने कांशीराम की पुण्यतिथि पर अवकाश देने की हमारी मांग को नहीं माना था और इन्हीं नीतियों के कारण जनता अब कांग्रेस को माफ करने के मूड में नहीं है।

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