राजस्थान के आधा दर्जन जिलों की नाबालिग लड़कियों को हार्मोंस के इंजेक्शन लगाकर देह व्यापार में धकेलने का मामला सामने आने के बाद अपना ठिकाना छोड़कर भागे लक्ष्मण कंजर पर पुलिस की निगाह टिकी है। पुलिस सूत्रों की मानें तो ये ही मुख्य आरोपी है, जो लड़कियों से देह व्यापार कराने व इन लड़कियों की खरीद-फरोख्त कर रहा था। इसके दो सहयोगी पहले ही इस मामले में पुलिस के हत्थे चढ़ चुके हैं।
पुलिस के अनुसार पुलिस महानिदेशक भूपेंद्र सिंह यादव को पिछले दिनों जानकारी मिली थी कि भीलवाड़ा, कोटा, अजमेर, चित्तौडग़ढ़ और बारां जिलों के कुछ इलाकों में नाबालिग लड़कियों को हार्मोंस के इंजेक्शन लगाने के साथ ही उनकी जन्मतिथि में फेरबदल कर देह व्यापार में धकेलने का काम चल रहा है।
मुंबई और कोलकाता के दलाल स्थानीय पुलिसकर्मियों की मिलीभगत से इस काम को अंजाम देते है। शिकायत के बाद सरकार ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जंगा श्रीनिवास राव के नेतृत्व में विशेष दल गठित किया है। इसमें डीआईजी नितिन दीप ब्लग्गन को शामिल किया गया था। पुलिस टीम ने जांच की तो सामने आया था कि 15 से 16 साल तक की नाबालिग लड़कियों के अंगों को विकसित करने के लिए हार्मोंस के इंजेक्शन लगाए जाते हैं। जांच में सामने आया कि गरीब परिवारों की नाबालिग लड़कियों के परिजनों को पैसों का लालच देकर घरों में काम करने के लिए दलाल अपने साथ ले जाते हैं और फिर उनसे देह व्यापार कराते हैं।
पुलिस की जांच टीम ने ऐसी आधा दर्जन लड़कियों को दलालों के चंगुल से छुड़ाया भी था, जो अभी बाल कल्याण समिति की कस्टडी में सखी सेंटर में है। इन लड़कियों का मेडिकल और 164 के बयान भी कलमबद्ध करवाए जा चुके हैं। सूत्रों की माने तो इस मामले में अब तक मुख्य आरोपी लक्ष्मण कंजर को माना जा रहा है, जो अभी फरार है।