Jaipur News /Dainik reporter : जयपुर जिले के
सांभर झील क्षेत्र में विदेशी पक्षियों की मौत का बडा कारण सरकारी अधिकारियों की लापरवाही रहा है। इसका खुलासा हाईकोर्ट के न्याय मित्र में किया गया है।
इधर, जिस तरह से सरकारी एजेंसियां बचाव कार्य कर रही है, उसे पूरी तरह से सभी मृत पक्षियों को हटाने में एक- दो माह का समय लग जाएगा, इस सुस्त रवैये से विनाशकारी स्थिति पैदा हो सकती है।
बता दें कि न्याय मित्र ने एक दिन पहले ही शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी है। इसमें बताया गया है कि पक्षियों की मौत की सूचना मिलने के बाद भी सरकारी अफसरों ने समय पर कोई कार्रवाई नहीं की और भारी लापरवाही बरती।
सांभर झील क्षेत्र वन और पशुपालन विभाग के पास नहीं होने के कारण दोनों विभागों के अधिकारी इसे एक दूसरे पर टाल रहे थे और उनके बीच में समन्वय का अभाव था। यह भी पाया कि सांभर साल्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने अपनी जमीन के कई हिस्सों को निजी नमक निर्माताओं को लीज पर दिया था और वे जहरीले तत्वों को झील में मिला रहे थे।
– सांभर झील के पूरे क्षेत्र को वन भूमि घोषित करें या वन्य जीव संस्थान को सौंपें।
– झील के चारों ओर दो किमी का क्षेत्र को बफर जोन घोषित करें।
– सांभर साल्ट ने जो लीज दी हैं उसे तुरंत बंद किया जाए, क्योंकि वे वेस्ट को झील में डाल रहे हैं।
– संरक्षण के लिए सांभर डवलपमेंट या कंजर्वेशन अथॉरिटी बनाया जाए।
– वेटलैंड कंजर्वेशन रूल्स 2017 के नियमों का हो सख्ती से पालन।
– झील मेंं पड़े मृत पक्षियों को प्राथमिकता से हटाया जाए।
– हाई डेनसिटी के ड्रोन कैमरों से पता लगाकर उन्हें इंफ्लैक्टेड ट्यूब के जरिए निकाला जाए।
झील क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग व नमक विभाग केवल सैम्पल लेकर बैठा है। विभाग के पास नमक के सैम्पल की जांच की व्यवस्था नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि जो बीमारी सामने आई है उसकी जांच यहां नहीं हो सकती। ऐसे में यहां से निकलने वाला नमक लोगों के लिए परेशानी पैदा कर सकता है। हालांकि फिलहाल इस पर रोक लगाई गई है।
पक्षियों की मौत का आंकड़ा नावां उपखण्ड में 10 हजार से ज्यादा हो गया। शनिवार को पशुपालन, वन, एसडीआरएफ, नगरपालिका व पटवारी सहित नावां ब्लॉक के अधिकारियों ने 10 टीमों का गठन कर लगभग 200 कर्मचारियों में दिनभर झील क्षेत्र में मृत व घायल पक्षियो को उपचार के लिए पशु चिकित्सालय लाया गया।