Bhilwara / Jahazpur News ( आज़ाद नेब ) – जिस आरक्षण की बदौलत यहां के राजनेता, कर्मचारी, अधिकारी कुर्सियों पर बैठे हैं। वह संविधान के निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की देन है।
पद पैसा व रुतबे की ऊंचाई इतनी बढ़ गई है की डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की 2 दिन पूर्व जो पुण्यतिथि मनाई गई थी उसमें शरीक होने के लिए आना मुनासिब नहीं समझा।
डॉ भीमराव अंबेडकर विचार मंच के रामजस मीणा ने पुण्यतिथि पर नहीं आने वाले नेता, कर्मचारी व अधिकारी के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जो आरक्षण के आधार पर विभिन्न राजनीतिक, सरकारी सेवाओं में बड़े-बड़े पदों पर आसीन तो हो जाते हैं लेकिन अधिकतर व्यवहारिक व सामाजिक क्षेत्र से दूर होते है और अपनी सफलता का श्रेय स्वयं की योग्यता व किसी देवी देवता को देते है बाबासाहेब को तो याद करना भी तोहीन समझते हैं.बाद में पॉवर ,पोस्ट और पैसे की चकाचौंध में अधिकतर अपने समाज, गांव ,गरीब रिश्तेदारों, मित्रों व अभावों से जूझ रहे दलित शोषित भाईयों को ही भूल जाते हैं।
अपनी जड़ों से ही कट जाते हैं। उन्हें अपने सामाजिक सरोकारों से मानो कोई वास्ता नहीं रहता है। जबकि दलित शोषित आदिवासी बहुजन वंचित समाज को उनसे बहुत उम्मीदें होती हैं।
पद ,पैसा व रूतबे की चाहे कितनी ही ऊंचाई पर पहुंच जाए, यदि गरीब शोषित समाज की चिंता नहीं करते है, समाज की पीड़ा हमें बैचेन नहीं करती है तो हमारी शिक्षा व ऊंचाइयों का कोई अर्थ नहीं।