
नई दिल्ली
टोंक व सवाई माधोपुर से सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया 40,451 करोड रुपए लागत के ईस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट को शीघ्र राष्ट्रीय परियोजना के रूप में घोषित करने की मांग लोकसभा सदन में उठाई।
टोंक व सवाई माधोपुर से सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया ने नियम संख्या 377 के तहत लोकसभा में मुद्दा रखते हुए मांग कि, की बीसलपुर बांध का निर्माण कार्य बनास नदी पर टोंक जिले की देवली तहसील में किया गया है। वर्ष 1999 में निर्माण कार्य पूर्ण हुआ तथा वर्ष 2004 में प्रथम बार पूर्ण भरा गया था। वर्तमान के वर्षो में बीसलपुर बांध में पानी की आवक कम हो रही है। विगत 15 वर्षो में मात्र 4 बार अर्थात 2004, 2006, 2014 एवं 2016 में ही बीसलपुर बांध पूर्ण रूप से भरा है।
जबकि वर्ष 2010 में बांध लगभग पूर्ण रूप से सुख गया था। इसके अतिरिक्त बीसलपुर बांध के ओवरफ्लो पानी की गणना बीसलपुर बांध के डाउन स्ट्रीम में प्रगतिरत ईसरदा बांध की हाइड्रोलोजी में सम्मिलित की जा चुकी है। इन परिस्थितियो के मध्यनजर बीसलपुर बांध के ओवरफ्लो का पानी टोरडी सागर में डाला जाना संभव नही है।
क्षेत्र के विस्थापितों एवं जन प्रतिनिधियों की मांग अनुसार प्रस्तावित ईस्र्टन राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट जो कि राज्य की कालीसिंध, चम्बल इत्यादि नदियो का पानी राज्य के 13 जिलो (झालावाड, बांरा, कोटा, बंूदी, टोंक, सवाई माधोपुर, अजमेर, जयपुर, दौसा, धोलपुर, करौली, अलवर, भरतपुर) के बांधो में ले जाना प्रस्तावित है, के माध्यम से टोरडीसागर व मॉषी बांध में डाला जाना प्रस्तावित है। लगभग 40,451 करोड रूपये लागत की पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की क्च्त् आवष्यक स्वीकृति हेतु केन्द्रीय जल आयोग, नई दिल्ली को पूर्व में राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार के समय ही प्रेषित की जा चुकी है। जिसका कार्य 3 चरणों में लगभग 7 वर्षो में पूर्ण किया जाना प्रस्तावित है।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजनाए राजस्थान
जौनापुरिया ने बताया कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजनाए राजस्थान के उत्तर पूर्व भाग टोंक व सवाई माधोपुर के साथ साथ अन्य 11 जिलो के किसानों के लिए अति महत्वपूर्ण जीवनदायनी परियोजना है। राजस्थान सरकार ने इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय दर्जा देने के लिए जल संसाधनए नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालयए से भी अनुरोध किया है। यह परियोजना चम्बल बेसिन की पार्वती एवं कालीसिंध सहायक नदियों के सरप्लस यानी अतिरिक्त पानी को बनासए गम्भीर एवं पार्वती बेसिन में हस्तान्तरण करते हुए टोंक व सवाई माधोपुर में भी ले जाने की परियोजना है। इसमें चम्बलण्पांचनाण् जगर बांध परियोजना भी सम्मिलित है।
चम्बल की सहायक नदियों पार्वतीए कालीसिंधए मेज एवं चाकन में प्रतिवर्ष लगभग 5060 मिलियन घन मीटर पानी उपलब्ध होता है जो व्यर्थ ही बह कर समुद्र में चला जाता है। कालीसिंध एवं चम्बल नदी के जंक्शन पाइन्ट के डाउन स्ट्रीम पर इस पानी को समुद्र में जाने से रोका जाना चाहिए एवं इंट्रा बेसिन जल हस्तांतरण योजना यानी पूर्वी राजस्थान केनाल परियोजना का काम तुरंत शुरू किया जाना चाहिए। यह पानी जुलाईए अगस्त एवं सितम्बर माह में ही उपलब्ध होता है। चम्बल बेसिन के इस सरप्लस पानी को समुद्र में जाने से रोक कर कम जल उपलब्धता वाले नदी बेसिन ;बनासए गम्भीर एवं पार्वती बेसिनद्ध तक पहुंचाया जाना चाहिए।
विभिन्न जिलों के जल संसाधन विभाग के छोटे एवं बडे बांधों एवं राह में आने वाले पंचायत तालाबों को भरने एवं पेयजल उपलब्ध कराने हेतु यह परियोजना प्रस्तावित है। सांसद जौनापुरिया ने कहा कि इस परियोजना के द्वारा लगभग 13 जिलों की पेयजल आपूर्ति एवं लगभग 2 लाख हेक्टेयर नये सिंचित क्षेत्र व 2.3 लाख हेक्टेयर विद्यमान सिंचित क्षेत्र की सिंचाई किया जाना प्रस्तावित है। इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय दर्जा मिलने से बजट की कमी नहीं रहेगी तथा कार्य द्रुतगति से होगा।
उक्त परियोजना का कार्य 3 चरणों में होगा पूर्ण: प्रथम चरण में
कुम्हारिया/ठिकरिया बांध का जीर्णोद्धार, कुम्हारिया से मुई बांध तक 19 किमी, ग्रेविटी चैनल की स्थापना मुई/ सूरवाल से बनास नदी पर प्रस्तावित डूंगरी डेम 61 किमी प्राकृतिक स्ट्रीम रिसेक्षनिंग, डूंगरी बांध का निर्माण कार्य, डूंगरी बांध के पानी के उपयोग के लिए नहर वितरण प्रणाली विकसित नेटवर्क विकसित करना, कालीसिल बांध को जलापूर्ति के लिए डूंगरी बांध के पास पम्पिंग सिस्टम विकसित करना और डूंगरी बांध से कालीसिल बांध तक कुल 16.5 किमी ग्रेविटि मैन स्थापित करना आदि कार्य प्रस्तावित है।
द्वितीय चरण में
उनियारा विधानसभा क्षेत्र में कुम्हारिया से गलवा तक, गलवा से बीसलपुर तक (फीडर चैनल) और गलवा से ईसरदा तक, ईसरदा से दौसा जिले के मोरेल और सवाई माधोपुर जिले के धील तक (ग्रेविटी चैनल) और दौसा जिले के मोरेल पर मुख्य पम्पिंग का निर्माण कार्य होना प्रस्तावित है।
तृतीय व अंतिम चरण में
टोंक जिले में बीसलपुर बांध से टोरडी सागर और मांशी बांध तक ग्रेवीटी चैनल निर्माण कार्य, ईसरदा बांध से जयपुर जिले के तीन बांधो (रामगढ, कालख और छपरवाडा) तक फीडर चैनल और मैन पम्पिंग का निर्माण कार्य होना प्रस्तावित है। उन्होंने अंत में कहा कि ईस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट को शीघ्र राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाकर शीघ्र पेयजल संकट को दूर किया जावें।