Pali News । इंसान कितना लालची हो गया है कि घर के मरे हुए सदस्य की लाश नहीं मिलने पर उसने लास्ट के बदले मुआवजा राशि परी समझौता कर लाश को गड्ढे में ही दफन रहते हुए बिना सबके ही चले गए ऐसा ही एक मामला राजस्थान के पाली जिले के सुमेरपुर उपखंड के कानपुरा गांव में सामने आया जा 5 दिन पहले कुआं खुदाई के दौरान मिट्टी देने से कुएं में दबे श्रमिक की लाश मैं तो ग्रामीणों ने जिला प्रशासन 5 दिन बाद भी बाहर नहीं निकाल पाया और मृतक के परिजन मुआवजा राशि पर समझौता करके बिना लाश ही घर को लौट गए
सुमेरपुर क्षेत्र के कानपुरा गांव में बीते रविवार को कुएं में कार्य करते वक्त मिट्टी धंसने से दबा एक श्रमिक का शव प्रशासन लाख कोशिशों के बाद घटना के 5 दिन बाद भी नहीं निकल सका है। प्रशासन ने कुएं से शव निकालने के लिए अपने हाथ खड़े कर लिए है। इसके बाद प्रशासन और मीणा समाज के लोगों के बीच में मृतक के परिजनों को मुआवजे दिलवाने पर समझौता हुआ और परिजन बिना मृतक का शव लिए अपने घर की ओर रवाना हुए।
कानपुरा के समीप ईश्वरसिंह का कृषि कुआं है। गत 27 सितंबर को यहां कुएं का निर्माण करते वक्त मिट्टी ढहने से शिवगंज तहसील के जोगापुरा गांव निवासी श्रमिक मूपाराम और गोमाराम दब गए थे। इस दौरान गोमाराम तो रस्सी पकडक़र बाहर आ गया, लेकिन मूपाराम डोले में होने के कारण मिट्टी में दब गया। शव को बाहर निकालने के प्रयास किए गए। एसडीआरएफ की टीम और भीलवाड़ा से एक्सपर्ट को बुलाया गया, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। हैरत की बात तो यह है कि 5 दिन के रेस्क्यू के दौरान जमींदोज हुए एक इंसान को जिंदा या मृत बाहर निकालने के लिए किसी बड़े प्रशासनिक अफसर को मौके पर जाने की फुर्सत ही नहीं मिली।
बोरबेल मे फंसे बच्चो को निकाले लेकिन इसे..
देश के कई हिस्सों में खुले बोरवेल में गिरने से कई बच्चों को बाहर निकाला गया। पांच से सात दिन के लंबे ऑपरेशन के बाद कई बच्चों को बचाया भी गया। तमिलनाडु के तिरची में बोरवेल में गिरे बच्चों को निकालने में 90 घंटे लगे। वहां के सीएम खुद रेस्क्यू टीम को लेकर पहुंचे थे। इसी प्रकार संगरूर के सुनम गांव में बच्चे के शव को 109 घंटे बाद निकाला गया, जबकि कानपुरा गांव में कुआं महज 70 से 80 फीट ही गहरा है, जिसमें से भी श्रमिक का शव नहीं निकाला जा सका।