विपक्ष ने बजट को बताया नारों और जुमलों का पिटारा

liyaquat Ali
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बजट ने सभी तबकों को निराश किया

नई दिल्ली

आम बजट की विपक्षी दलों ने नारों और जुमलों का पिटारा बताते हुये कहा है कि बजट ने सभी तबकों को निराश किया है। संसद भवन परिसर में बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने कहा, बजट में शामिल नारों और जुमलों पर लोकसभा में खूब वाह वाह हो रही थी। हकीकत यह है कि बजट में ना तो नये भारत के निर्माण के बारे में कुछ है, ना ही आम आदमी के साथ किसी तरह के न्याय की झलक दिखती है।

सरकार ने अर्थव्यवस्था में गलत बीमारी की पहचान

राजद के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने कहा कि बजट में लुभावने नारों और नामों वाली योजनायें ही सुनाई दीं। उन्होंने कहा कि सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण से ही पता चल गया था कि सरकार ने अर्थव्यवस्था में गलत बीमारी की पहचान की, ऐसे में गलत इलाज होना तय था। झा ने कहा, इस बजट में आर्थिक गति को दुरुस्त करने के लिये सिवाय प्रतीकों के कोइ रोडमैप नहीं है। सरकार ने यह बजट सरकार ने चुनिंदा समृद्ध घरानों को और अधिक समृद्ध करने के लिये बनाया है। सब कुछ निजी हाथों में सौंपना उचित नहीं है, जनता इसका प्रतिकार करेगी।

निजी क्षेत्र को बढ़ावा देकर कुछ बड़े पूंजीपतियों

बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, यह बजट निजी क्षेत्र को बढ़ावा देकर कुछ बड़े पूंजीपतियों की ही मदद करने वाला है। जिससे दलितों व पिछड़ों के आरक्षण की ही नहीं बल्कि महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, किसान और ग्रामीण समस्या और भी जटिल होगी। देश में पूंजी का विकास भी इससे संभव नहीं है।

समाज के शोषित और वंचित वर्गों की उपेक्षा

सपा के राज्यसभा सदस्य चौधरी सुखराम सिंह ने इसे पूजीवादी बजट बताते हुये कहा कि इसमें समाज के शोषित और वंचित वर्गों की उपेक्षा कर सिर्फ पूंजीपति वर्ग की सहूलियतों का ख्याल रखा गया है। उन्होंने कहा कि बजट में पेट्रोल डीजल की कीमत में ढाई रुपये तक के इजाफे से मंहगाई चरम पर होगी और इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा।

राकांपा अध्यक्ष और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि वित्त मंत्री ने बजट में कृषि क्षेत्र के लिये जीरो बजट खेती की बात जरूर कही लेकिन देश भर में कर्ज के बोझ तले दबे किसानों को कोई राहत या समाधान नहीं दिया। पवार ने कहा कि बजट में किसानों की आय दोगुना करने की ठोस कार्ययोजना पेश की जानी चाहिये थी।

वामदलों ने भी बजट को जनविरोधी बताते हुये कहा है कि इसमें सिर्फ धनाड्य वर्ग की बेहतरी के उपाय किये गये है। माकपा पोलित ब्यूरो की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चुनाव के बाद पेश बजट सरकार की ओर से भारतीय उद्योगपतियों के लिये चुनावी मदद की वापसी का तोहफा है। भाकपा ने कहा कि इस बजट में जनता से जुड़े मुद्दों की पूरी तरह से अनदेखी किये जाने के कारण बजट ने जनसामान्य को निराश किया है।

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