Jaipur News / Dainik reporter – मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि संविधान बननेे के 70 साल बाद भी हमारी विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका संतुलन बनाकर संविधान की मूल भावना के अनुरूप कार्य कर रही है। लोकतंत्र के इन तीनों स्तंभों की मजबूती और उनके बीच संतुलन से आज भी हमारा लोकतंत्र कायम है।
हमें इसी भावना को कायम रखते हुए इस मुल्क को एकजूट रखना है। गहलोत मंगलवार को बिड़ला ऑडिटोरियम में देश का संविधान अंगीकरण और अधिनियमन होने की 70वीं वर्षगांठ पर आयोजित संविधान दिवस कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सभागार में उपस्थित सभी लोगों को संविधान दिवस की शुभकामनाएं दी और कहा कि हमारे संविधान की प्रस्तावना की जो मूल भावना है, उसे समझने की हर देशवासी को नितांत आवश्यकता है।
प्रदेश के आम नागरिक तक संविधान की मूल भावना को पहुंचाने के लिए राज्य सरकार की ओर से राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सहयोग से आज से लेकर 14 अप्रैल यानि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती तक पूरे प्रदेश में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर जागरूकता पैदा की जाएगी। उन्होंने कहा कि संविधान में वर्णित मूल कर्तव्यों पर चर्चा के लिए राज्य विधानसभा का दो दिन का सत्र 28 एवं 29 नवम्बर को आयोजित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में अभी जो भय का माहौल बना हुआ है, उसमें हर जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य है कि वह राष्ट्रहित में अपनी बात सभी के सामने रखे। राजस्थान जैसे बड़े राज्य का मुखिया होने के नाते मेरा भी कर्तव्य बनता है कि मैं भी अपनी बात कहने में पीछे नहीं रहूं। उन्होंने कहा कि राजस्थान वह राज्य है जिसने हमेशा देश की मूल संस्कृति, परम्पराओं और यहां की रीतियों के अनुरूप चलते हुए वसुधैव कुटुुम्बकम् की भावना से सभी धर्म, सम्प्रदाय और जाति के लोगों के हित में कार्य किया है। उन्होंने कहा कि संकीर्ण भावना से नहीं बल्कि वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से ही हमारे मुल्क की प्रतिष्ठा विश्व में और बढ़ेगी।
गहलोत ने कहा कि संवेदनशील, पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन देने की दिशा में हमारी सरकार ने कई कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री के रूप में मेरे पहले कार्यकाल में राजस्थान सूचना के अधिकार की दिशा में पहल करने वाला सबसे पहला राज्य था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अक्सर लोग न्यायपालिका की शरण में तब जाते हैं, जब कार्यपालिका से उनको निराशा हाथ लगती है और न्यायपालिका से न्याय की उम्मीद होती है। आंकड़ों पर गौर करें तो न्यायालयों में लाखों की संख्या में केस पेंडिंग हैं, जो देश के प्रत्येक नागरिक को न्याय प्रदान करने की संविधान की मूल भावना पर प्रश्न चिन्ह् लगाते हैं। वर्षों से न्यायालयों में न्यायाधीशों की कमी की बात सामने आती रही है, ऐसे में हम आमजन के लिए न्याय कैसे सुनिश्चित कर पाएंगे यह सोचने का विषय है। देशभर के हाईकोर्ट में जजों की कमी है।
गहलोत ने भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार न्यायपालिका से समन्वय स्थापित कर यह सुनिश्चित करेगी कि प्रदेश में आमजन को समय पर न्याय मिल सके। राज्य सरकार न्यायपालिका की तरफ से आने वाले सुझावों को अमल में लाने और उनकी समस्याओं के समाधान में कोई कमी नहीं रखेगी। हाईकोर्ट एवं अधीनस्थ न्यायालयों की ओर से भेजे गए सभी प्रस्तावों को हमारी सरकार ने यथासंभव पूरा करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि जोधपुर में हाईकोर्ट की शानदार बिल्डिंग बनी है, जिसका 7 दिसम्बर को उद्ïघाटन हो रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करती हुई हाईकोर्ट की न्यायाधीश सबीना ने कहा कि हमारा संविधान हमारे देश का सर्वोच्च कानून है, जो देश के नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के साथ-साथ उन्हें उनके कर्तव्यों के बारे में भी बताता है। हमारे संविधान की प्रस्तावना इसकी आत्मा है, जो देश के लोगों की आकांक्षाओं को प्रतिबिंम्बित करती है। उन्होंने कहा कि राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण सालभर चलने वाले कार्यक्रमों के माध्यम से हमारे संविधान की मूल भावना के प्रति जागरूकता पैदा करने में समर्पित भाव से कार्य करेगा।