जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज कल राजस्थान पुलिस अकादमी के दीक्षांत समारोह में शिरकत की। उन्होंने 455 प्रशिक्षु पुलिस उपनिरीक्षक तथा प्लाटून कमांडर के संयुक्त बैच की दीक्षांत परेड में मुख्य अतिथि के रूप में सलामी ली तथा परेड का निरीक्षण किया। उन्होंने दीक्षा प्राप्त करने वाले पुलिस उपनिरीक्षकों तथा प्लाटून कमांडरों को बधाई देते हुए कहा कि अकादमी से प्राप्त गहन प्रशिक्षण उन्हें उत्कृष्ट पुलिस अधिकारी बनाएगा।
प्रशिक्षुओं को ट्रेनिंग के दौरान प्राप्त कानून, अपराध अनुसंधान, साइबर अपराध, वीआईपी सुरक्षा तथा व्यावहारिक ज्ञान का प्रशिक्षण उन्हें अपने कर्तव्यों के निर्वहन तथा समाज को न्याय दिलाने में सहायता करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि प्रशिक्षित अधिकारी महिलाओं, बालिकाओं, समाज के कमजोर लोगों और बुजुर्गों के साथ शालीनता से व्यवहार कर उनकी परिवेदनाओं को पूरे मनोयोग और मानवीय दृष्टिकोण से सुनेंगे तथा उन्हें राहत प्रदान करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे आश्वस्त है कि नए अधिकारी वीरता एवं सजगता के साथ आपराधिक व राष्ट्रविरोधी तत्वों का सामना करेंगे। उन्होंने कहा कि नए अधिकारियों को वैज्ञानिक अनुसंधान के तरीकों को कार्यप्रणाली में सम्मलित करना होगा, ताकि सुलभ एवं पारदर्शी न्याय किया जा सके। उन्होंने कहा कि पुलिस अपने अधिकारों का उपयोग पीड़ित वर्गों को न्याय दिलाने में करे, जिससे पुलिस का इकबाल कायम रहने के साथ ही अपराधियों में भय व्याप्त रहे।
गहलोत ने कहा कि राजस्थान पुलिस का गौरवशाली इतिहास रहा है, जो विषम परिस्थितियों में अपने कार्य को अंजाम देते हुए बलिदान देने में कभी पीछे नहीं रही। पुलिस ने हमेशा हिम्मत और हौसले से प्रदेश का मान-सम्मान बढ़ाया है। पुलिस के शानदार कार्य के कारण ही राज्य में कानून-व्यवस्था नियंत्रण में है। राज्य सरकार द्वारा पुलिस और आमजन में बेहतर समन्वय स्थापित करने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं।
834 थानों में स्वागत कक्ष बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि एफआईआर के अनिवार्य पंजीकरण से आपराधिक प्रकरणों को दर्ज करने की प्रक्रिया सुगम हुई है। गंभीर एवं जघन्य अपराधों के अनुसंधान हेतु स्पेशल इकाइयों की स्थापना की गई है। इन प्रयासों से एससी/एसटी के विरूद्ध अपराधों के अनुसंधान में लगने वाले औसत दिनों की संख्या 231 से घटकर 72 रह गई है।
महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा हेतु प्रतिबद्ध है। निर्भया स्कवॉड, महिला वॉलंटियर की भर्ती तथा सुरक्षा सखी जैसी अभिनव पहल के माध्यम से प्रदेश में महिला सुरक्षा को सुदृढ़ किया गया है। प्रदेश के सभी 909 थानों में महिला पुलिसकर्मियों की नियुक्ति की गई है तथा सभी थानों में महिला एवं बाल हेल्प डेस्क का सुचारू रूप से संचालन किया जा रहा है। परेशानी मुक्त अपराध पंजीकरण की जन केन्द्रीत नीति के कारण महिलाओं में अपराधियों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज कराने का हौसला बढ़ा है।
जहां 2018 में महिला अत्याचार के 30 प्रतिशत प्रकरण न्यायालयों से दर्ज होते थे, वहीं आज इनकी संख्या घटकर 13 प्रतिशत रह गई है। पूर्व सरकार में महिला अत्याचार के 38 प्रतिशत प्रकरणों में सजा होती थी, जो अब बढ़कर 46 प्रतिशत हो गई है। अपराधों के अनुसंधान में लगने वाला औसत समय 169 से घटकर 49 दिन रह गया है। राज्य सरकार की नीतियों से प्रदेश में महिलाओं के दहेज मृत्यु प्रकरणों में 4 प्रतिशत की कमी आई है। गहलोत ने बताया कि उन्होंने अपने पूर्व कार्यकाल में महिलाओं हेतु पुलिस में 30 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया था।
उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयासों का ही परिणाम है कि आज महिलाएं बड़ी संख्या में पुलिस बल का हिस्सा बनी हैं। आज भी 111 महिला प्रशिक्षु पुलिस अकादमी से प्रशिक्षित होकर पासआउट हुई हैं। पुलिस प्रशिक्षण में जेंडर संवेदीकरण की कार्यशालाएं प्रमुखता से आयोजित की जा रही है।
पुलिस बल में महिलाओं की बड़ी भागीदारी से पुलिस तंत्र अधिक संवेदनशील बनता है तथा एक समावेशी एवं सुरक्षित परिवेश का निर्माण होता है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने पुलिस अकादमी में महिला जवानों के बेहतर प्रशिक्षण हेतु 300 महिला ट्रेनी के लिए नवीन हॉस्टल निर्माण की घोषणा की।