पूर्व महापौर और सांगानेर विधायक अशोक लाहोटी की अति महत्वकांक्षा ही अब उनके लिए जी का जंजाल बनती जा रही है। पहले पार्षद बनकर महापौर की सीट तक जाना और उसके बाद विधायक का टिकट हासिल करने के बाद लाहोटी बडे नेताओं के निशाने पर आ गए थे। इसके बाद भी वे शांत नहीं हुए और लोकसभा चुनावों में सांसद के टिकट की दावेदारी पेश कर दी और अब महापौर के लिए दुबारा लाबिंग में जुटे हुए हैं। इसी कारण अब लाहोटी की भाजपा की अंदरूनी राजनीति में सब नेताओं से दूरी बढती जा रही है।
भाजपा में जयपुर शहर के नेताओं के बीच चल रही खींचतान के चलते पार्टी के कुछ नेता महिला मोर्चा की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा पर अमर्यादित टिप्पणी का मामला उछाल रहे हैं। इसके पीछे आने वाले नगर निगम चुनावों में वर्चस्व की राजनीति को मुख्य वजह माना जा रहा है। शहर भाजपा के अध्यक्ष भले ही पूर्व विधायक मोहनलाल गुप्ता हो लेकिन पार्टी यहां कई गुटों में बंटी हुई है और निगम चुनावों में लाहोटी को पटखनी देने के लिए यह मामला उछाला जा रहा है। हालांकि यह मामला अब पार्टी के बडे नेताओं के पास पहुंच गया है और जल्द ही इसको लेकर कार्रवाई किए जाने की बात कही जा रही है।
पार्टी में भीतरखाने यह जंग गत विधानसभा चुनावों में शुरू हुई जब महापौर रहते लाहोटी सांगानेर से टिकट लेकर चुनाव लडने में सफल रहे। सांगानेर से जीत के बाद लाहोटी ने सांसद का टिकट लेने के लिए भी हाथ पांव मारे थे लेकिन टिकट रामचरण बोहरा लानेे में सफल रहे। इधर, पूर्व मंत्री कालीचरण सराफ और मोहनलाल गुप्ता दोनों ही नेता वैश्य वर्ग से आते हैं। जातिगत आधार पर देखा जाए तो पार्टी शहर में वैश्य वर्ग के दो से ज्यादा नेताओं को टिकट नहीं दे सकती। ऐेसे में अशोक लाहोटी वैश्य वर्ग के तीसरे नेता के रूप में उभरते लगे तो पार्टी के अन्य धडों ने खेमेबंदी शुरू कर लाहोटी का विरोध शुरू कर दिया।
अब नगर निगम के चुनाव सामने हैं तो लाहोटी इस बार भी महापौर का चुनाव लडने के इच्छुक है और इसके लिए लाबिंग में जुटे हुए हैं वहीं सराफ और गुप्ता का खेमा भी अपने समर्थक के लिए महापौर के टिकट की तैयारी में जुटा हुआ है। सांसद रामचरण बोहरा लोकसभा चुनावों के बाद से ही लाहोटी से दूरी बनाए हुए हैं। इधर, लाहोटी के निकट माने जाने वाले पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी भी आजकल खफा चल रहे हैं। ऐसे में नगर निगम चुनावों से पहले ही लाहोटी की दावेदारी समाप्त करने के लिए विरोध प्रदर्शन कर मुद्दे को हवा दी जा रही है।
जबकि 23 अगस्त को धरने के दौरान चुहलबाजी की शुरूआत स्वयं सुमन शर्मा ने करते हुए कहा था कि कौन मेरा पीछे से पल्लू खींच रहा है, अगर मैं महिला आयोग की अध्यक्ष होती तो उस पर कार्रवाई जरूर करती। इसके बाद चौमूं विधायक रामलाल शर्मा ने सुमन शर्मा को इंगित करते हुए कहा था कि आपकी साडी तो कालीचरण खींच रहे थे मैं नहीं। धरने पर शर्मा के बाद लाहोटी बोले थे कि सुमनजी आप पीछे से मेरी पैंट खींच रही है अब मैं कौनसी धारा लगाऊं। कालीचरण जी साडी खींच रहे थे तो आप 354 लगा रही थी, मुझे पता है आप नहीं लगाओगी। अंत में इस ठिठोली को आगे बढाते हुए सांसद रामचरण बोहरा ने कहा था कि मैं तो कोई मुकदमा दर्ज नहीं करवा रहा आप मेरा पाजामा क्यों खींच रहे हो।