कोटा सांसद ओम बिरला होंगे लोकसभा के नए अध्यक्ष

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कोटा
कोटा सांसद ओम बिरला 17 वीं लोकसभा के अध्यक्ष होंगे, उनका निर्वाचन बुधवार को होगा। राजस्थान के इतिहास में लोकसभा अध्यक्ष बनने वाले वे पहले व्यक्ति होंगे। मंगलवार को उनके नाम का ऐलान होने के साथ ही कोटा शहर में खुशी की लहर दौड गई। बिरला लगातार दूसरी बार कोटा सीट से लोकसभा चुनाव जीते हैं और इससे पहले वे तीन बार विधायक भी रह चुके हैं। विधानसभा और लोकसभा में प्रखर वक्ता के रूप में उनकी पहचान है। उन्होंने इन चुनावों में कांग्रेस के रामनारायण मीणा को 2 लाख 79 हजार 677 वोटों से हराया था। उनके लोकसभा अध्यक्ष बनने की खबर के साथ ही दिल्ली स्थित आवास पर बधाईयों का सिलसिला शुरू हो गया।
बिरला ने राजनीतिक जीवन की शुरूआत छात्र राजनीति से की है। वे  एबीवीपी के टिकट पर 1989 में कोटा में स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने। इसके बाद वे युवा मोर्चा में सक्रिय हो गए और भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष बने। बिरलायुवा मोर्चा के राष्टï्रीय उपाध्यक्ष भी रहे हैं। उन्होंने विधानसभा का पहला चुनाव 2003 में लडा और दिग्गज कांग्रेस नेता शांति धारीवाल को हराया। 2003 में उन्हें राजस्थान में संसदीय सचिव भी बनाया गया था। इसके बाद साल 2008 और 2013 में भी विधायक बने, हालांकि 2013 में विधायक बनने के बाद उन्हें 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में कोटा से प्रत्याशी बनाया गया। उन चुनावों में दो लाख से ज्यादा मतों से कांग्रेस के प्रत्याशी इज्यराज सिंह पर जीत दर्ज की।
भारतीय जनता युवा मोर्चा के कोटा के अध्यक्ष रहे 1987 से 1991 तक
भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने 1993 से 1997 तक
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने भारतीय जनता युवा मोर्चा के 1997 से 2003 तक
राजस्थान विधानसभा में विधायक बने 2003, 2008 और 2013 में 3 बार
2014 और 2018 में लोकसभा सीट कोटा से सांसद बने पारिवारिक पृष्ठभूमि
ओम बिरला का जन्म 4 दिसम्बर 1962 को हुआ बिरला के पिता श्री कृष्ण बिरला और माता स्वर्गीय शकुंतला देवी हैं। ओम बिरला का विवाह 1991 में डॉ अमिता बिरला से हुई। ओम बिरला की दो बेटियां आकांक्षा और अंजलि बिरला है।
बिरला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्टï्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नजदीक माने जाते हैं। गत वर्ष  विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को चुनावों की रिपोर्ट तैयार बिरला ने ही तैयार करवाई थी। इन्हें राज्य में वसुंधरा विरोधी धडे में माना जाता है, हालांकि बिरला गैर विवादित रहे हैं। गत वर्ष जब राजस्थान में जब 74 दिनों तक अध्यक्ष बनने का विवाद चला तो ओम बिरला को भी अध्यक्ष बनाने की चर्चा थी, लेकिन उन्होने इसके लिए भी इंकार कर दिया था।
बिरला राम मंदिर निर्माण आंदोलन में यूपी की जेलों में बंद रहे। इसके अलावा कोटा में अनेक आंदोलनों का नेतृत्व किया है। उन्होंने सवाई माधोपुर सीमेंट फैक्ट्री शुरू करवाने के लिए जयपुर और सवाई माधोपुर से आंदोलन का नेतृत्व किया। इसके लिए वे जेल भी गए। कोटा शहर में आईआईटी की स्थापना के लिए भी बिरला ने जन आंदोलन का नेतृत्व किया था।
बिरला को इस बार लोकसभा चुनावों में टिकट की दावेदारी की कोटा के नेताओं ने जमकर विरोध किया था। पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल और भवानी सिंह राजावत ने तो बिरला के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया था। उनका टिकट काटने की मांग को लेकर जयपुर से लेकर दिल्ली तक शिकायतों का दौर भी चला था लेकिन पार्टी आलाकमान ने बिरला पर भरोसा जताते हुए दुबारा मौका दिया और उन्होंने जीत दर्ज की।
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