Tonk News – पौष कृष्ण अमावस्या 26 दिसम्बर गुरूवार को प्रात: 8 बजे से शुरु होने वाला कंकण सूर्य ग्रहण दोपहर 1.35 बजे तक सम्पूर्ण भारत के साथ साथ अधिकांश, एशिया, पूर्व यूरोप, उतर पश्चिम, आस्ट्रेलिया, पूर्वी उतरीं अफ्रीका एवं हिन्द महासागर में दिखाई देगा। भारत में वर्ष का तीसरा सूर्य ग्रहण इस से पहले छ: जनवरी एवं दो जुलाई को हो चुका है, पूर्ण रुप से सूर्य ग्रहण प्रात: आठ बजे से दोपहर बारह बजे तक कंकण आकृति में दक्षिण राज्यों केरल के उत्तरी भाग तमिलनाडू के मध्य भाग कर्नाटक के दक्षिण भाग में दिखाई देगा।
शेष भारत के सम्पूर्ण स्थानों, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उतर प्रदेश, गुजरात, आसाम, झारखंड, बिहार, उडीसा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड आदि में खंडग्रास रुप में दिखाई देगा। इस प्रकार भारत में यह ग्रहण कंकण एवं खंड ग्रास रुप में दिखाई देगा। राजस्थान में ग्रहण का प्रारंभ प्रात: 8.13 बजे से होगा एवं समाप्त सुबह 10.56 बजे होगा। इस का पर्व काल 2.43 समय का होगा। ग्रहण का सूतक चार प्रहर अर्थात बारहा घंटे पूर्व 25 दिसंबर बुधवार रात्रि 8.13 बजे से प्रारंभ होगा।
सूतक काल में बालक वृद्ध व्यक्तियों रोगियों को छोड़ कर धार्मिक जनों को भोजनादि नहीं करने के निर्देश शास्त्रों में मिलते है। निर्णय दिपीका में लिखा है कि कम से कम एक प्रहर अर्थात तीन घंटा तक सभी सूतक नियमों का पालन करना चाहिए। मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान टोंक के निर्देशक बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि 26 दिसम्बर गुरुवार प्रात: 8.13 बजे ग्रहण प्रारम्भ के समय चन्द्रमा मुल नक्षत्र स्वामी केतु धनु राशि राशि एवं वार स्वामी गुरू की राशि में विचरण कर रहे हैं। धनु राशि में पूर्व में सुर्य बुध केतु गुरु शनि बैठे हैं ,जो चन्द्रमा के साथ षष्ठी ग्रह योग बना रहे हैं ।
राहू की सप्तम दृष्टि है, द्वितीय भाव में मकर राशि में शुक्र एवं द्वादश भाव में वृश्चिक राशि में मंगल भ्रमण कर रहे हैं। चंद्रदेव शुभ विक्रम अशुभ प्रभाव से पिड़ीत है, जो अनिष्ट एवं अशुभ फल दायक है। मूल नक्षत्र एवं धनु राशि वालों को विशेष कष्ट मय समय रहेगा। व्यापारियों एवं विप्र जनों को विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। राजनैतिक उथल-पुथल के साथ-साथ प्रकृति प्रकोप के योग बनेंगे। रुई, कपास, खाधान्न, गुड़, चीनी, तिल, तेल में तेजी आयेगी। कर्क, तुला, वृश्चिक, कुंभ, मीन राशि वालों को शुभ फल, मेष मिथुन सिंह वालों को मध्यम फल एवं वृष, कन्या, धनु एवं मकर राशि वालों को न्यूनतम फल मिलेंगे।
बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि ग्रहण प्रारम्भ से पूर्व वस्त्रों सहित स्नान करना, मध्य में हवन पूजा-पाठ करना ग्रहण वेध के समय अन्न, वस्त्र, धन, स्वर्ण आदि का दान करने का हजार गुना फल बताया गया है। सूतक पश्चात लाल वस्तुओं, हरा चारा आदि का दान करने से अशुभ फलों में कमी आती है।