Bhilwara News ( मूलचन्द पेसवानी ) – वृंदावन से आयी काग पीठाधीश्वर व अंर्तराष्ट्रीय कथाकार महंत प्रज्ञा भारती ने सोमवार को भीलवाड़ा जिले के मोतीबोर का खेड़ा में स्थित श्रीनवग्रह आश्रम का अवलोकन किया। महंत प्रज्ञा भारती ने अवलोकन के बाद आश्रम को दिव्य वातावरण में रोगी को जीवनदान देने वाला आश्रम बताया है।
महंत प्रज्ञा भारती सोमवार को नवग्रह आश्रम पहुंची। उनका वहां पहुंचने पर आश्रम संस्थापक हंसराज चोधरी ने स्वागत किया। बाद में महंत प्रज्ञा भारती ने पूरे आश्रम का अवलोकन करते हुए हर्बल वाटिका में प्रत्येक पौधे की जानकारी प्राप्त की। विशेषकर केंसर रोग निदान के संबंध में विस्तार से हंसराज चोधरी सेवार्ता की। उन्होंने श्रीनवग्रह आयुष विज्ञान मंदिर व नवग्रह गौदर्शन गौशाला का भी अवलोकन किया।
अवलोकन के बाद महंत प्रज्ञा भारती ने कहा कि उन्होंने देश व दुनिया में कई रोग निवारण केंद्र देखे है। नवग्रह आश्रम अपने आप में अनूठा चिकित्सालय कहा जायेगा जहां उपचार के साथ साधना भी है। यहां निरोगता के साथ मानसिक शांति का भी आभास होता है। जिस प्रकार से हनुमानजी संजीवनी लाए और एक प्राण बचाये पर आज के दौर में संस्थापक हंसराज चोधरी औषधीय पौधों से हजारों हजार लोगों को जीवन दान देने का कार्य कर रहे है।
यह सेवा ही आनंद की अनुभुति कराती है तथा मानव सेवा इससे बढ़िया हो ही नहीं सकती है। महंत प्रज्ञा भारती ने कहा कि नवग्रह आश्रम की विशेषता यह भी दिखी कि यहां रोगियों से अनुग्रह कर उपचार किया जा रहा है, जो अनुग्रह करता है तो उसके समर्पण में सामने वाला आकर्षित होता ही है। आश्रम के संचालक व टीम ने लंबे शोध और अन्वेषण से अपने आप में ऐतिहासिक कार्य कर यहां 418 प्रकार के औषधीय पौधों को संरक्षित कर सनातन संस्कृति को अक्षुण्य बनाये रखने का कार्य भी किया है।
चार वेदों में आयुर्वेद महान है को प्रतिपादित करते हुए आश्रम की टीम ने यह सिद्व कर दिया है कि आयुर्वेद से सभी रोगों का छुटकारा संभव है। पहला सुख निरोगी काया है परं दिव्य संपति तो स्वास्थ्य ही है। उन्होंने नवग्रह आश्रम के प्रति शुभकामनाएं देते हुए कहा कि निकट भविष्य में यह आयुर्वेद का विशाल केंद्र बने ऐसी उनकी अभिलाषा है। आश्रम संचालक हंसराज चोधरी ने साध्वी प्रज्ञा भारती को आश्रम का साहित्य व आयुष्मान भव पुस्तक भी भेंट की।
स्वतंत्र परिवार में सुमति नहीं आती और परिवार टूटते हैं- प्रज्ञा भारती
नवग्रह आश्रम में आश्रम के स्वयंसेवकों व संचालन टीम के सदस्यों से वार्ता करते हुए महंत प्रज्ञा भारती ने कहा कि घर परिवार में शिव परिवार जैसे विषमता में समरसता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जल के विरुद्ध अग्नि और नंदी के विरूद्ध शेर एवं सांप के विरुद्ध मोर विषम होकर भी साथ-साथ रहते है, क्योंकि एक दूसरे का भय बना रहता हैं। जिस परिवार में पिता का पुत्र पर, पति का पत्नी पर, बड़े भाई का छोटे भाई पर, माता का पुत्री पर और सास का बहू पर भय रहता है तब तक परिवार में एक दूसरे के प्रति उसी भय के कारण समरसता बनी रहती है। यदि परिवार में सभी स्वतंत्र होगें, तो वहां सुमति नहीं आएगी और कुमति के कारण परिवार टूटेंगे। प्रज्ञा भारती ने कहा कि परिवार का कोई भी सदस्य निरंकुश नहीं रहना चाहिए और एक दूसरे का मान करते रहने चाहिए।
महंत प्रज्ञा भारती ंने कहा कि मैं किसी राजनीतिक दल में नहीं हूूं, लेकिन भारत में हिंदू धर्म को यदि जीवित रखना है तब हमें हिंदू राष्ट्र की कल्पना को साकार करने में कोई कमी नहीं रखनी चाहिए। श्री महंत प्रज्ञा भारती ने कहा कि देश की सीमाओं पर अस्थिरता का वातावरण पैदा करने का दुस्साहस हमारा पड़ोसी मुल्क कर रहा है और बार-बार मुंह की खाने की बाद भी उसे समझ नहीं आ रही है। देश में सक्षम सरकार के होते हुए आंख उठाना भी महंगा पड़ेगा। इस देश की विशेषता यह है कि सारे दल सरकार किसी की भी हो लेकिन राष्ट्र की अखंडता के लिए सब एकजुट हो जाते है।