Jodhpur News । सिंपलीफाइड माइनिंग स्कीम (एसएमएस) स्वीकृति मामले में खान मालिकों ने भेदभाव के आरोप लगाए हैं। कुछ खान मालिकों के एसएमएस स्वीकृत कर दिए हैं तो कइयों के बाकी हैं। ऐसे में खान मालिक असमंजस में हैं कि उनके एसएमएस स्वीकृत हो गए हैं या नहीं। खान विभाग की कार्यशैली से खान मालिकों को परेशानी हो रही है।
बड़ली सैंड स्टोन विकास समिति के अध्यक्ष ओमप्रकाश परिहार ने बताया कि अगर कोई कोर्ट में जाता है तो वर्तमान में हो रहा सारा खनन कार्य अवैध श्रेणी में गिना जाएगा। बावजूद इसके विभाग की ओर से कोई खास तवज्जो नहीं दी जा रही है। खान मालिक माइनिंग इंजीनियर से लेकर खान मंत्री और मुख्यमंत्री तक को पत्र लिख चुके हैं, इसका भी कोई असर नहीं हुआ। खास बात यह है कि जिनके एसएमएस स्वीकृत नहीं किए गए हैं, वे अस्वीकृत भी नहीं हुए हैं। ऐसे में पेडिंग की स्थिति से खान मालिक परेशान हैं।
एसएमएस की अवधि पांच साल के लिए होती है। 2013 में बने एसएमएस की अवधि 2018 में पूरी हो चुकी है। उसके बाद से ही एसएमएस बनने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन बीच में रोक दी गई। इधर, जोधपुर के फिदूसर स्थित कुछ माइंस ऑनर्स के तो एसएमएस स्वीकृत कर दिए गए, लेकिन शेष रहे बड़ली, रोहिला कलां, बुझावड़, केरू, पालड़ी सहित कई माइंस क्षेत्रों के संचालकों के एसएमएस स्वीकृत नहीं किए गए हैं। अगर एसएमएस की आवश्यकता नहीं हैं तो सरकार इस नियम को ही क्यों ना हटा ले। अगर अनिवार्य है तो फिर नियमों को लेकर इतनी लापरवाही क्यों बरती जा रही हैं?