Jodhpur news । लंबे इंतजार और कानूनी पंच के बाद मिले आदेश पर नगर निगम चुनाव तीन नवम्बर तक दो चरणों में संपन्न करवाए जाने है। नामांकन दाखिल होने के साथ ही प्रमुख दोनों राजनीतिक पार्टियां जोश खरोश के साथ जुट गई है। गुरुवार को नाम वापसी का अंतिम दिन है। दोनों प्रमुख पार्टियों के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में खींचतान अंदरूनी तौर पर चलती रही है। आज नाम वापसी से पहले पार्टियों ने अपने अपने अग्रज नेताओं को आगे कर रूठने वालों को मनाना शुरू कर दिया है। तो कई अब भी विरोध स्वरूप अड़े है।
इधर जिन प्रत्याशियों का टिकट मिल चुका है वे प्रचार प्रसार के लिए जन संपर्क में और तेजी लाने लगे है। डोर टू डोर संपर्क तो बढ़ा ही है साथ ही सोशल मीडिया पर भी प्रचार जोर पकडऩे लगा है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वोटरों को रिझाना शुरू हो गया है।
कार्यकर्ताओं का बागी होकर नामांकन दाखिल करने वालों की फहरिस्त कांग्रेस-भाजपा दोनों ही पार्टियों में कम नहीं है। लिहाजा दोनों ही संगठनों के नेता विभिन्न वार्डों के बागियों को मनाने की जुगत में दिख रहे हैं। विधायक, पूर्व विधायक, संगठन पदाधिकारियों से लेकर सांसद तक रूठे कार्यकर्ताओं को मनाने में जुटे हैं।
बूथ इकाई के नेता सक्रिय:दोनों ही दलों ने बूथ इकाई के नेताओं को सक्रिय कर दिया है। हालांकि ज़्यादातर वार्ड ऐसे हैं जहां बूथ इकाइयों में ही टिकिट वितरण को लेकर राजनीतिक दलों से नाराजगी है। आलम ये है कि कई बूथ पदाधिकारियों ने अपने इस्तीफे तक पार्टियों को भिजवा दिए हैं। ऐसे में बागियों को मनाना दोनों ही दलों के लिए चुनौती भरा है।
पार्टी प्रत्याशी भी लगे रूठों को मनाने : संगठन स्तर पर भले ही बागियों को नाम वापस लेने के लिए नेता सक्रिय हैं लेकिन उससे कहीं ज़्यादा सक्रिय वार्ड में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी और उनके समर्थक हैं। नामांकन दाखिल होने के बाद से ही उन्होंने बागियों को मनाने के हरसंभव प्रयास शुरू कर दिए जो आखिरी समय तक जारी रहेंगे। दोनों ही दलों के संगठन ने भी अधिकृत प्रत्याशियों को ही बागियों को मनाने के लिए पुरजोर कोशिश करने के निर्देश दिए हैं। पार्टी प्रत्याशी तो बागियों के अलावा अन्य निर्दलीयों को भी बैठाने की जद्दोजहद में जुटे हुए हैं।
शाम तक तस्वीर होगी स्पष्ट:नामांकन वापसी का वक्त गुजरने के साथ ही वार्ड चुनाव में प्रत्याशियों की असल तस्वीर सामने आएगी। किन वार्डों में कितने बागियों ने नाम वापस लिए और कितने वार्डों में वे टस-से-मस रहे यानी बागी बनकर दावेदारी बरकरार रखी ये सब सामने आ जाएगा। लाख कोशिशों के बाद भी नाम वापस नहीं लेने वाले बागियों के खिलाफ दोनों ही दल अनुशासनात्मक कार्रवाई करेंगे।