-अब कमेटी का काम संबंधित मंत्री करेंगे
-कमेटी के समक्ष 1067 प्रकरण आए, 14 विभागों ने तो सूचना ही नहीं दी
-सत्ता में आने से पहले लगाए थे पूर्ववर्ती सरकार पर भ्रष्टïाचार के आरोप
-सीएम ने गठित की थी कैबिनेट सब कमेटी
-ब्यूरोक्रेसी से फाईले मांगते रहे मंत्रीजी,अब कर ली इतिश्री
Jaipur News : प्रदेश सत्ता परिवर्तन होने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछली वसुंधरा सरकार के आखरी 6 माह में लिए निर्णयों की समीक्षा के लिए गठित कैबिनेट सब कमेटी पिछले एक साल में ब्यूरोक्रेसी से फाईले मांगती रही लेकिन ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ साबित हुई।
चूंकि अधिकारियों का रवैया बदला नहीं लिहाजा कैबिनेट सब कमेटी ने अपनी किरकिरी होने से बचने के लिए समय नहीं होने ओर शेष प्रकरणों में संबंधित मंत्री स्तर पर ही जांच करवाने का निर्णय लेते हुए जांच से इतिश्री कर ली।
बुधवार को यहां सचिवालय में नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी की बैठक हुई। बैठक में ऊर्जा मंत्री डॉ.बीडी कल्ला भी मौजूद रहे और खाद्य मंत्री रमेश मीना दिल्ली दौरे पर होने की वजह से नहीं आए।
बैठक के बाद के बाद नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अब तक कमेटी की 8 बैठक हुई है जिनमे कुल 1067 प्रकरण रखे गए थे। कमेटी नेे 8 प्रकरण निरस्त किए है और 6 प्रकरणों में दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही के लिए लिखा गया है।
पिछली बैठकों में फाईले नहीं लाने पर अधिकारियों को लताड़ लगाने वाले यूडीएच मंत्री धारीवाल ने इस बार अधिकारियों पर अप्रत्यक्ष निशााना साधा और कहा कि 30 विभाग ऐसे हैं जिनकी सूचना है शून्य यानी आखरी 6 माह में कोई छूट या शिथिलता नहीं दी गई।
14 विभागों ने सूचना नहीं दी, 12 विभागों की देख नहीं पाई कमेटी
मंत्री धारीवाल ने यह भी कहा कि 14 विभाग ऐसे है जिनकी सूचना नहीं मिली। जिस फार्मेट में सूचना मांग रहे थे उसमें अभी समय लगेगा। और 12 विभागों की सूचना मिल गई लेकिन समयाभाव के चलते देख नहीं पा रहे। उन्होंने कहा कि जिन विभागों ने निर्धारित परिपत्र में प्रभारी सचिव के हस्ताक्षर से सूचनाएं मंगवाएं गए थे वो अभी तक प्राप्त नहीं हुए,अब मंत्री देखेंगे।
कमेटी क्यों नहीं करेंगी जांच? मंत्री बोले समय का अभाव
जब मंत्री शांति धारीवाल जी से पूछ गया कि कमेटी जांच क्यूं नहीं करेगी, इस पर उन्होंने अजीब जवाब देते हुए यह कहा कि विधानसभा सत्र सामने है फिर नगर निगम के चुनाव है और उसके बाद निकाय और पंचायतीराज चुनाव है। इसलिए समय अभाव के कारण जो भी पत्रावलिया अलग-अलग मंत्रालय की शेष है, वो संबंधित विभाग के मंत्री के पास भेजकर जांच करवाएंगे और मंत्री सीएम को रिपोर्ट देंगे। मतलब अब कमेटी का काम मंत्री करेंगे।
कमेटी की बैठक में यह निर्णय किया है इस पर अनुमोदन के लिए रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेजेंगे।
कद्दावर मंत्री बैकफुट क्यूं?
कैबिनेट सब कमेटी में कद्दावर मंत्री शांति धारीवाल, बीडी कल्ला और रमेश मीना है जिनको पिछली राजे सरकार के निर्णयोकी समीक्षा करनी है, ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जो काम कमेटी नहीं कर सकी वो संबंधित मंत्री कैसे करेंगे? क्या सच में अधिकारी फाईले नहीं दे रहे थे या और कोई वजह है।
सवाल ये भी है कि अभी तो सरकार बने एक साल ही हुआ है, ऐसे में समय अभाव का तर्क कहा तक उचित है? ..आखिर बैकफुट पर कमेटी क्यूं है।
वसुंधरा सरकार के 801 मामलो में क्लीन चिट विपक्ष में रहते हुए सरकार बनने से पहले पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार पर ऊर्जा, यूडीएच, उद्योग, खनन, चिकित्सा एवं अन्य महकमों में भ्रष्टïाचार का आरोप लगाने वाले नेता इन दिनों चुप है। कमेटी ने 801 मामलों में वसुंधरा सरकार को क्लीन चिट दे दी है। यानी अभी तक कोई ऐसा निर्णय नहीं किया जिसमें पूर्व सीएम,बड़े नेता या ब्यूरोक्रेट को मुसीबत हो। नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल का कहना है कि कमेटी ने पिछले 6 माह में लिए निर्णयों में 801 प्रकरणों को यथावत रखा है।