Jaipur News : केन्द्रीय खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा है कि खादी को चंद शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। खादी मतलब ऑनेस्टी,सिंसिएरिटी, स्वदेशी, जीरो कार्बन फूट प्रिन्ट, जल संरक्षण, इको फ्रेंडली सहित न जाने कितने ही प्रेरणास्पद बहुआयामी मायने रखती है।
खाादी ग्रामोद्योग अध्यक्ष शुक्रवार कोओटीएस में उद्योग विभाग,एससीएम रीपा ओटीएस, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, सीआईआई की ओर से संयुक्त रूप से किए गए दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के समापन सत्र में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि आज खादी जन-जन की पहचान बनती जा रही है। खादी में नवाचार किए जा रहे हैं। आईटीईएन्स के सहयोग से उन्नत चरखे तैयार किए जा रहे हैं वहीं डिजाइनरों को इससे जोड़ा जा रहा है। पर्यावरण का बचाना है तो खादी को अपनाना ही होगा।
सक्सेना ने कहा कि खादी की ब्राण्डिंग का ही परिणाम है कि 2018-19 में 3215 करोड़ का टर्नओवर रहा जो इस साल 5 हजार करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। इससे पहले आठ सौ-सवा आठ सौ करोड़ का ही टर्न ओवर रहता था। उन्होंने हनी मिशन, कुम्हार सशक्तिकरण जैसे नवाचारों की भी चर्चा की।
आयोजन समिति के संयोजक गिरधारी सिंह बाफना ने कहा कि यह पहला मौका है जब खादी को लेकर किसी सरकार की ओर से इतना मंथन, छूट और ग्लोबल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया है।
कॉन्फ्रेंस में उद्योग आयुक्त मुक्तानन्द अग्रवाल ने कहा कि खादी आज अधिक प्रासंगिक हो गई है तो खादी की ताकत को पहचान जाते हैं तो आज भी ग्राम स्वराज का सपना साकार हो सकता है। खादी को विश्व बाजार में पहुंचाने के लिए सप्लाई चैन को मजबूत बनाना होगा।
उन्होंने कहा कि खादी को फैशन से जोडऩा आज की आवश्यकता है तो खादी में इनोवेशन, डायवर्सिफिकेशन, मार्केट इंटेलीजेेंस पर भी ध्यान रखना होगा।
डेजर्ट इन के अध्यक्ष आनन्द सिंघल ने खादी वस्त्रों के निर्यात की विपुल संभावनाओं की चर्चा करते हुए बताया कि 20 लाख गांठ कपास उत्पादन में से बड़ी मात्रा में बांग्लादेश को कपास का निर्यात होता है और वहां से अपेरल तैयार होकर दुनिया के देशों को निर्यात हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास कच्चा माल होते हुए भी हम सही मायने में वैल्यू एडिशन नहीं कर पा रहे।