जयपुर
एसीबी ने आनंद गृह निर्माण सहकारी समिति के खिलाफ दर्ज प्रकरणों में धमकी देकर डेढ करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने वाले सीबीआई के इंस्पेक्टर प्रकाश चन्द पर शिकंजा कसा है। एसीबी ने उसके दलाल शांतीलाल आंचलिया को 90 लाख रुपए की घूस लेते दबोचा है। ब्यूरो ने उसके पास से 30 लाख रुपए नकद और घूस में लिए 45 लाख रुपए के ग्यारह सेल्फ चैक बरामद किए हैं। ब्यूरो की कार्रवाई से हड़कंप मचा हुआ है जबकि घूसखोर इंस्पेक्टर फरार हो गया है। ब्यूरो की सूचना पर इंस्पेक्टर को निलम्बित कर दिया है।
सीबीआई इंस्पेक्टर प्रकाश चन्द के लिए दलाली करने वाला शांतिलाल आंचलिया टोंक रोड स्थित जय जवान कॉलोनी में रहता है। उसका एक मकान मानसरोवर में भी बताया जाता है। दलाल का जौहरी बाजार में जवाहरात का भी कारोबार है। शांतिलाल पर ब्यूरो का शिकंजा कसने की भनक लगते ही इंस्पेक्टर फरार हो गया,जिसका मोबाइल भी बन्द है। घूख खेल का मुख्य आरोपी दिल्ली पुलिस में तैनात था और यहां सीबीआई की जयपुर ब्रांच में एंटी करप्शन सेल में प्रतिनियुक्ति पर चल रहा था। त्रिपाठी ने बताया कि उसके खिलाफ 14 फरवरी को आनंद गृह निर्माण सहकारी समिति के पदाधिकारी ने एसीबी में शिकायत दर्ज करवाई थी। करीब एक माह से जाल बिछा रही एसीबी ने गुरुवार रात को इस खेल का पर्दाफाश कर दलाल शांतिलाल को दबोच लिया।
आनंद गृह निर्माण सहकारी समिति के खिलाफ जमीनी धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं। गत वर्ष जनवरी माह में न्यायालय ने भूखण्डों से जुड़े मामलों की जांच सीबीआई जयपुर को करने के निर्देश दिए। करीब 4 चार माह पहले दिल्ली पुलिस से प्रतिनियुक्ति पर आए इंस्पेक्टर के पास 3 प्रकरणों की जांच थी। प्रकाश चन्द परिवादी को लगातार धमका रहा था। वह 3 प्रकरणों में राहत देने और 15 केस में आरोपी बनाने की धमकी देकर 1 करोड़ 50 लाख की घूस मांग रहा था। घूस की रकम दलाल शांतिलाल के जरिए तय हुई थी।
वह शातिर इनता है कि रिश्वत में चैक लिए थे जिन्हें वह कैश करवा चुका है। फरार हुए इंस्पेक्टर के मानसरोवर स्थित रजनी विहार में बने आवास पर भी एसीबी ने सर्च ऑपरेशन किया। इंस्पेक्टर और दलाल की कारगुजारियों से तंग आया समिति का पदाधिकारी भवन निर्माण का भी कार्य करता है। मोटी घूस देने के बाद फिर से रिश्वत मांगने पर वह एसीबी दफ्तर पहुंचा था। सूत्र बताते हैं कि देर रात तक फरार इंस्पेक्टर के ब्यूरो के समक्ष सरेण्डर होने की संभावना है।
प्रकरण में बड़ी बात यह रही कि टै्रप के दौरान पूरी गोपनीयता के साथ सतर्कता बरती गई मगर फिर भी घूसखोर इंस्पेक्टर को भनक लगी तो वह फरार होने में कामयाब हो गया।