जयपुर
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को केन्द्रीय उपाध्यक्ष बनाने के बाद प्रदेश संगठन से धीरे-धीरे दूर किया जा रहा है लोकसभा चुनाव की दृष्टि से पिछले दिनों हुई चुनाव प्रबंधन समिति की बैठक हो या फिर रामगढ़ विधानसभा के चुनाव में भाजपा का प्रचार अभियान, इन सब से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को दूर ही रखा गया।
प्रदेश संगठन के एक बड़े नेता के इशारे पर राजे को पार्टी कार्यक्रमों से धीरे-धीरे साइडलाइन किया जा रहा है जिससे राजे और उसके समर्थक विधायक नाराज हैं, विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश भाजपा में शायद ही कोई निर्णय वसुंधरा राजे के बिना लिया गया हो लेकिन अब समय बदल गया है और सरकार भी, सरकार बदलने पर सरकारी नौकरशाहों को बदलते जरूर देखा है लेकिन अब इसी बदलाव का असर प्रदेश भाजपा संगठन में भी दिखने लगा है। भाजपा में इन दिनों पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की अहमियत कम होती दिख रही है यही कारण है कि हाल ही में हुए रामगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा के पूरे प्रचार अभियान में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे कहीं भी नजर नहीं आई यह स्थिति तो तब है जब पिछले विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे पार्टी की स्टार प्रचारकों में शामिल थी न केवल चुनाव प्रचार बल्कि लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर हो रही बैठकों में भी राजे की अनदेखी किसी से छुपी नहीं है।
पिछले दिनों हुई चुनाव प्रबंधन समिति की बैठक में वसुंधरा राजे शामिल नहीं हुई और उसके बाद हुई हारे हुए विधानसभा प्रत्याशियों की बैठक में भी राजे सबसे अंत में पहुंची और महज 10 मिनिट बाद वहां से चली गई। यह सब इस बात का संकेत है कि राजस्थान भाजपा में अब राजे का राज कम होते जा रहा है वसुंधरा राजे समर्थक भी इस बात को समझते है इसलिए ही तो वो समय समय पर राजे के साथ विधायकों के शक्ति बल को अपने बयानों के जरीए गिनवाते रहते है कालीचरण सराफ सहित कुछ विधायक इस काम को बखुबी कर रहे हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले जिस तरह वसुंधरा राजे ने अपनी मर्जी से ही संगठन के तमाम फैसले कराए उससे पहले ही पार्टी संगठन से जुडे आला नेताओं के मन में राजे को लेकर खटास पैदा हो गई थी और जैसे ही भाजपा विधानसभा चुनाव हारी तो इन नेताओं ने सियासी अंदाज से राजे को साइड लाइन करना शुरू कर दिया है।
हालांकि इसकी जानकारी खुद वसुंधरा राजे और उनके समर्थक विधायकों को भी है लेकिन उन्हें भी फिलहाल अपने अच्छे समय आने का इंतजार है लेकिन जिस तरह का शीतयुद्ध प्रदेश नेताओं के बीच चल रहा है उसका नुकसान आने वाले लोकसभा चुनाव में भी उठाना पड़ सकता है।