जयपुर।एससी एसटी एक्ट को लेकर उबाल में आए सवर्ण वर्ग की नाराजगी ने भाजपा को चिंता में डाल दिया है। सहयोगी दलों के दबाव में केंद्र सरकार ने भले ही sc एसटी एक्ट संशोधन विधेयक पारित कर दिया पर अब यह उनके गले की घंटी बन गया है जल्दबाजी और हड़बड़ाहट में लिए गए इस निर्णय के विरोध में पूरा सवर्ण वर्ग अब भाजपा से सरकता दिख रहा है ।
सवर्णों की नाराजगी ने भाजपा नेताओं के दिलों की धड़कनों को बढ़ा दिया है। हालात उन राज्य में ज्यादा खराब है जहां इस वर्ष के अंत तक चुनाव होने है।एससी एसटी एक्ट संशोधन विधेयक पारित होने के बाद सवर्णों का इतना विरोध नहीं था किंतु इसके बाद लगातार पुलिस थानों में दर्ज हुए झूठे मामलों को लेकर यह वर्ग आंदोलित हो गया।
इसके कारण अब यह एक्ट वापस लेने की मांग उठने लगी है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार पहले जांच के बाद ही गिरफ्तारी के आदेश थे, लेकिन केंद्र सरकार ने कुछ दलों की नाराजगी को मिटाने के लिए बिना जांच गिरफ्तारी का प्रावधान कर सवर्णों की नाराजगी मोल ले ली है। अब हालात यह है कि यह विधेयक सरकार की गले की फांस बन गया है।
इसमे एक्ट वापस लेने पर एससी एसटी वर्ग की नाराजगी और वापस नहीं देने पर स्वर्ण वोट बैंक टूटने का खतरा मंडराने लगा है।मालूम हो कि भाजपा की स्थापना के साथ ही सवर्ण वर्ग इसका बड़ा वोट बैंक रहा है। भाजपा अब तक सवर्णों के सहारे ही सत्ता की दहलीज़ तक पहुची है।
ऐसे में इस की नाराजगी इनको भारी पड़ती दिख रही है। इस पर चर्चा के लिए आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रस्ताव भी लाया जा रहा है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में देशभर के भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और पदाधिकारी जुड़ रहे हैं
इस बैठक में आगामी चुनाव मंथन के साथ ही पेट्रोल डीजल के खिलाफ हो रहे आंदोलन और सवर्णों की नाराजगी पर गहन मंथन किया जाएगा। माना जा रहा है कि सरकार पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट के हवाले कर अपने कदम पीछे खींच लेगी ।
इसमें गौर करने वाली बात यह है कि सवर्णों की नाराजगी सिर्फ भाजपा से ही नहीं है बल्कि सभी राजनीतिक दलों से है जिन्होंने इस एक्ट के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला ऐसे में यह एक्ट कांग्रेस को भी भारी पड़ता जा रहा है।