जयपुर/ पूर्व मुख्यमंत्री वसुधंरा राजे की मेवाड संभाग और अजमेर की यह यात्रा , धार्मिकयात्रा, संवेदनायात्रा, रोड शो या फिर राजनैतिक शक्ति प्रदर्शन है । यह आप सब समझ रहे है लेकिन राजे ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को इस यात्रा के जरिए यह बता दिया है की राजस्थान मे भाजपा बिना राजे के राज नही कर सकती ।
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुधंरा राजे 3 साल तक बिल्कुल शांत और चुपचाप रही । पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उनको राजस्थान मे सत्ता परिवर्तन होते ही पार्टी की मुख्यधारा से अलग कर दिया था और राजे का विरोधीगुट हावी हो गया ।
भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने भी राजस्थान मे हुए पंचायती थाज के चुनाव हो या फिर निकाय चुनाव तथा विधानसभा के उपचुनाव सब मे राजे को साइड रखा और राजस्थान के भाजपा के दूसरे गुट जो राजे विरोधी है उनको अगवा रखा और चुनाव लडे नतीजा यह हुआ की सब चुनावो मे पार्टी को मुहं की खानी पडी मतलब आशातीत सफलता नही मिल पाई । हाल ही मे मेवाड संभाग की दो विधानसभा सीटो के उपचुनाव मे भाजपा की हालत बदतर हो गई ।
इन चुनावो के नतीजो ने शीर्ष पार्टी नेतृत्व की आंखे खोल दी और यह अंदरखाने मानने पर मजबूर कर दिया की राजस्थान मे वसुधंरा राजे के बिना फतेह सभंव नही है हालाकीं यह मौन रूप से माना है सार्वजनिक रूप से स्वीकारा नही है ।
इधर वसुधंरा राजे ने तीन साल की चुप्पी को तोडते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं , समर्थकों से मिलने और दिवंगत हुए पार्टी के नेता कार्यकर्ता के परिजनो को घर जाकर सात्वंना देने तथा आमजनता से रूबरू होने का मानस बना मेवाड के प्रसिद्ध कृष्णधाम सांवलियासेठ ( चित्तौडगढ जिले के भादसोडा) से 23 नवंबर को अपना सफर शुरू किया और पिछले तीन दिनो मे वसुधंरा राजे जहां-जहां भी गई वहां उनका जलवा देखने को मिला जब आमजन और कार्यकर्ताओं का सैलाब राजे से मिलने तथा उनका स्वागत करने के लिए उमड पडा मानो वह पूर्व मुख्यमंत्री नही वर्तमान मुख्यमंत्री हो ।
आमजन और कार्यकर्ताओं व समर्थकों के इस सैलाब से वसुधंरा राजे ने पार्टी शीर्ष नेतृत्व को इशारों -इशारों मे यह संकेत दे दिया की राजस्थान मे भाजपा बिना राजे के सभंव नही है राज । अब भी भाजपा का शीर्ष नेतृत्व नही समझे तो जो नही समझे इशारे वह अनाडी वाली कहावत साबित होगी ।
वसुधंरा राजे की यात्रा के दौरान प्रदेश के सतीश पूनिया गुट ने राजे के कार्यक्रमो से दूरी बनाए रखी आखिर क्यों ?