राजस्थान मे सीकर के वाहिद चोहान ने महिला शिक्षा को दी नई ऊंचाई।
(अशफाक कायमखानी)
जयपुर । दक्षिणी भारत को छोड़कर जरा हम हिन्दी भाषी क्षेत्र के मुस्लिम समुदाय पर जरा नजर दोड़ाये तो पाते है कि अब जाकर इस क्षेत्र का मुस्लिम समुदाय भी अशिक्षा व रिवायती शिक्षा से छुटकारा पाने के लिये जितनी तेजी के साथ झटपटा कर बाहर निकल कर माजी को भूलकर अपना भविष्य बनाने के लिये मयारी तालीम पाने की दौड़ लगाने के लिये कमर कस कर जरा शुरुवात की है उसने साजगार परिणाम नजर आने लगे है। कर्नाटक स्टेट के अभी दसवी परीक्षा के आये रजल्ट मे मोहम्मद केफ मुल्ला ने 625 मे से 625 अंक पाकर पुरे स्टेट को टोप किया है। केफ के अलावा ऐसे अनेक मुस्लिम तलबा है।जिन्होने विभिन्न स्टेट की मेरीट मे जगह बनाकर मयारी तालीम लेने का एक तरह से प्रण सा लेना दर्शा रहे है।
हालाकि शिक्षा मे जब राजस्थान मे टेन प्लस टू सिस्टम ना होकर दसवी व ग्यारवी कक्षा की परीक्षा भी सेकेण्डरी बोर्ड अजमेर ही आयोजित करता था। तब सालो पहले बिसाऊ कस्बे के लाल आलम अली ने दोनो साल बोर्ड की मेरीट मे अवल आकर जो नया किर्तिमान बनाया था। व लगातार चाहे ना सही पर यदा कदा मुस्लिम बच्चों ने भी आगे चलकर मेरीट मे स्थान पाकर आलम अली के पथ पर चलने की कोशिशें भरपूर की है। हां आलम अली के उस अभाव वाले समय के मुकाबले अब अधिक सुविधा वाले समय मे हमारे बच्चों को शिक्षा जगत मे जो ऊंचाई पानी थी वो ना पाने का मलाल जरुर रुक रुक कर पुरे समुदाय को सता रहा है।
भाजपा सरकार के केंद्र मे आने के बाद 1992 के वक्त की तरह जिस तरह भारत भर मे मोबलिंचींग व अन्य प्रकार से खासतोर पर मुस्लिम समुदाय के लिये भय व असुरक्षा का माहोल बनाने की कोशिशे जितनी शिद्दत से हुई है। उससे कई गुणा अधिक कोशिशे समुदाय मे बच्चों ने मयारी तालीम पाकर देश के सिस्टम मे घूस कर वतन की खिदमात अंजाम देने मे करने का प्रयास किये। जिसके परीणाम विभिन्न प्रशासनिक व दिगर मुकाबलाती परीक्षाओं के आये परीणाम पर एक नजर दोड़ा कर देखा जा सकता है। इसके अलावा शेक्षणिक तोर पर इसी साल विभिन्न पैटर्न पर दसवी व बारवी बोर्ड के आये रजल्ट मे मुस्लिम बच्चों ने मेरीट मे या फिर राजस्थान जैसे प्रांत मे मेरीट ना जा करने पर अंको के प्राप्ति से स्थापित हो रहा है। दूसरी तरफ पिछले कुछ साल पहले भारत की सबसे बडी परीक्षा भारतीय सिवील सेवा परीक्षा को टोप व टोप टेन मे जगह बना कर फैसल व अतर अमीर जैसे अनेको ने जगह पाकर साबीत किया है।
भारत भर के मुस्लिम समुदाय मे लड़को का तालीमी स्तर व प्रतिशत जब सोचनीय विषय था। उस हालात मे लडकियों की तालीम का विषय तो काफी पिछे छुटा हुवा था। लेकिन उस विकट परिस्थितियों मे सीकर के एक लाल वाहिद चोहान ने मुम्बई मे रहकर वालीवूड व होलीवूड की जिन्दगी के साथ साथ अपने भवन निर्माण के ऊंचाई पा चुके कारोबार को जरा ब्रेक देकर समय निकाल कर अपनी जन्मभूमि सीकर मे शुरुआत से लेकर कालेज स्तर की अंग्रेजी माध्यम की मुफ्त तालीम लड़कियों को देने का जो पुख्ता इंतेजाम किया, उस ऐक्सीलैंस नोलेज सिटी नामक स्कूल कोलेज से आज शेखावटी जनपद ही नही पूरे प्रदेश मे गलर्स ऐजुकेशन मे एक नया बदलाव आ चुका है। आज सैंकड़ों माहिरीन हर साल इस इदारे को देखने व समझने सीकर हर साल आते रहते है। इस ऐक्सीलैंस शेक्षणिक इदारे के कायम होने के बाद एवं वाहिद चोहान की एकाग्रता व लम्बी कोशिशों का ही फल है कि क्षेत्र मे चाहे लड़का तालीम पाने नही जा रहा हो। लेकिन हर बेटी किसी ना किसी तालीमी इदारे मे तालीम पाने हर हाल मे जा रही है। अभी हाल ही नीट व जेई के रजल्ट के मे बेटियो के परचम लहराने के पिछे वाहिद चोहान द्वारा बनाया शिक्षामय माहोल का भी बडा योगदान माना जा रहा है।
कुल मिलाकर यह है कि ज्यो ज्यो भारत मे 1992के समय की तरह ही पिछले कुछ सालो कुछ संस्थाओं द्वारा मोबलिंचींग व अन्य तरीकों के मार्फत मुस्लिम समुदाय मे भय व असुरक्षा का माहोल बनाने की चेष्टा की गई त्यो त्यो समुदाय मे दवाब बनने के चलते युवाओ मे सिस्टम मे अपनी भागीदारी तय करने के लिये मयारी तालीम पाने का रुझान व जज्बा आम होने पर बदलाव साफ नजर आने लगा है। पाईप को दबाने पर पानी दूर तक जाता है एवं उसी तरह नदी के भाव को जब रोका जाने के बाद एक समय बाद पानी उस रुकावट को तोड़ते हुये तेजी के साथ बहता है। उसी तरह मुस्लिम समुदाय मे शिक्षा के प्रति बदलाव साफ देखा जा रहा है। जदीद तालीम के विरोधी कथित धार्मिक ठेकेदारो को दरकिनार करके आज का युवा अब तालीम की ताकत पर वतन की खिदमत करने को उतारु है। हालाकि एक साझिस के तहत अनेक बेगुनाह आला तालीम याफ्ता युवको को को जैलो मे ठूंसा जाने के बावजूद वो कोर्ट से बरी हो रहे है। इन सब हालात से जूझने के बावजूद समुदाय मे तालीम का ग्राफ निरंतर बढ रहा है। आज सीकर के अकेले वाहिद चोहान की जगह भारत भर मे गली-गली बस्ती-बस्ती वाहिद चोहान पैदा करना होगा।