जयपुर/ राजस्थान के युवा भागी डॉक्टर बनने के लिए राजस्थान को छोड़कर अन्य प्रदेशों के मेडिकल कॉलेज में जाना पसंद कर रहे हैं और दाखिला ले रहे हैं आखिर क्यों क्या वजह है कि उनको राजस्थान में अच्छे मेडिकल कॉलेज होने के बाद भी राजस्थान छोड़कर बाहर के मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेना पड़ रहा है ।
देश के टॉप मेडिकल कॉलेजों में राजस्थान के सवाई मानसिंह कॉलेज सहित पुराने कॉलेज जो राजमेस के अंतर्गत नहीं आते हैं उनकी गिनती होती है । राजस्थान के ऐसे होनहार विद्यार्थी जो neet-ug (नीट यूजी) में बेहतर रैंक हासिल करने के बाद भी राजस्थान के श्रेष्ठ मेडिकल कॉलेज में नंबर आने के बाद भी उस में दाखिला लेने के बजाय वह राजस्थान के बाहर अन्य प्रदेशों के मेडिकल कॉलेज में प्रवेश ले रहे हैं । इसका मूल कारण राजस्थान के मेडिकल कॉलेज में पिछले 5 सालों से लगातार कॉलेज की फीस में बेतहाशा वृद्धि मानी जा रही है बताया जाता है कि साल 2017 से लेकर वर्तमान साल 2022 तक मेडिकल कॉलेज की फीस में 30% से भी अधिक वृद्धि की गई है साल 2017 में मेडिकल कॉलेज की जो फीस ₹5060 थी वह बढ़कर 2022 में करीब डेढ़ लाख से अधिक हो गई है ऐसे में छात्रों का मानना है कि जब इतनी फीस ही देनी है तो वह राजस्थान के बाहर रहकर अपनी पढ़ाई और श्रेष्ठ कर सकते हैं
साल 2017 मे मेडिकल कॉलेज की फीस ₹5060 थी जो बढ़कर 2018 में 60500 हो गई एक ही साल में फीस इसमें इतनी जबरदस्त वृद्धि हुई उसके बाद साल 2019 में फीस ₹66550 की गई तथा साल 2020 में ₹73205 और साल 2021 में ₹80525 चालू वित्त वर्ष 2022 में यह फीस बढ़ कर ₹147900 कर दी गई है अगर इसी तरह राजस्थान में मेडिकल कॉलेज की फीस बढ़ती रही तो आने वाले समय में यह कई लाखों में पहुंच जाएगी ऐसी स्थिति में neet-ug में अच्छी रैंक हासिल करने वाले राजस्थान के गरीब छात्रों का राजस्थान के सरकारी कॉलेज में प्रवेश लेना मुश्किल ही नहीं होगा बल्कि नामुमकिन हो जाएगा और यहां तक कि उनका डॉक्टर बनने का सपना भी शायद पूरा ना हो पाए