जयपुर
प्रदेश में इस बार के विधानसभा चुनाव राजनीति के कई दिग्गजों के लिए बुरा अनुभव साबित हुए। इसमें वर्षों तक जनता के दिलों पर राज करने वाले विधायकों को जनता ने ऐसा सबक सिखाया कि वे अपने क्षेत्र में जमानत तक नहीं बचा पाए। इसमें घनश्याम तिवाडी और फतेहसिंह डामोर जैसे दिग्गज भी शामिल हैं जिन्होंने करीब 6 बार विधानसभा में अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है।
भाजपा के दिग्गज नेता और 6 बार विधायक रहे घनश्याम तिवाडी इस बार सीएम राजे से नाराजगी के चलते भाजपा से अलग हुए और भारत वाहिनी पार्टी का गठन किया। उन्होंने सांगानेर विधानसभा सीट से चुनाव लडा लेकिन वे 17 हजार 371 मत ही प्राप्त कर पाए। यहां उनको 8.35 प्रतिशत मत ही मिले जिसके कारण उनकी जमानत भी जब्त हो गई।
कुशलगढ से लोकतांत्रिक जनता दल के टिकट पर चुनाव लडे 5 बार के विधायक फतेहसिंह डामोर को भी जनता ने नकार दिया। उन्हें इस बार फिर 1.21 प्रतिशत मत यानि 2281 मत ही मिले हैं। इसी क्रम में घाटोल से चार बार विधायक रहे नवनीत लाल निनाम भाजपा से बागी होकर चुनाव लडे और सिर्फ 1.82 प्रतिशत मत यानि 3899 वोट ही ले पाए।
इसके अलावा बीकानेर जिले की डूंगरगढ विधानसभा सीट से किसनाराम नाई भी अपनी जमानत नहीं बचा पाए हैं। यहीं से तीन बार विधायक रहे किसनाराम ने इस बार भाजपा से बागी होकर भारत वाहिनी पार्टी से चुनाव लडा और 4101 मत ही प्राप्त कर पाए। उनका मत प्रतिशत 2.35 रहा। पूर्व मंत्री राजकुमार रिणवा भी रतनगढ से तीन बार के विधायक रह चुके हैं और इस बार चुनावों में अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए हैं। उन्होंने भाजपा के बागी के रूप में चुनाव लडा और 18 हजार 789 मत ही प्राप्त कर पाए। उनका वोट प्रतिशत 9.96 रहा। इसी क्रम में गंगानगर से दो बार विधायक रहे वरिष्ठï नेता राधेश्याम गंगानगर भी 2318 वोट ही प्राप्त कर पाए और 1.33 प्रतिशत मत प्राप्त करने के कारण उनकी जमानत जब्त हो गई।