खींचतान में अटकी हाईटेंशन लाइनों की शिफ्टिंग

 

जयपुर
प्रदेश के घनी आबादी क्षेत्र से लेकर हाइवे और खेत-खलिहानों में ऊपर से गुजर रही हाईटेंशन लाइनों के जंजाल की नियमों के भंवरजाल में फंसकर शिफ्टिंग प्रक्रिया अटक गई है। ऐसे में इनके आसपास बसे लोगों भय के साए में जीना पड़ रहा है। इतना ही नहीं राजधानी के बाहरी इलाको से जा रही एचटी लाइन की शिफ्टिंग नहीं होने के कारण यहां कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी है।
शहरी क्षेत्रों में नगरीय निकाय और डिस्कॉम एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पीडब्ल्यूडी और डिस्कॉम के मध्य आपसी तालमेल की कमी के चलते हाईटेंशन लाइनों की शिफ्टिंग में खासी दिक्कतें आ रही हैं। स्थिति यह है कि जिन हाइवे एवं ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी कारणों से इनकी शिफ्टिंग संभव नहीं हैं वहां इनका मेंटेनेंस भी नहीं किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में आंधी-तूफान-बारिश के दौरान दुर्घटनाएं  हो रही हैं। इन हादसों की आशंका से वाकिफ होने के बावजूद जिम्मेदार महकमा इनको रोकने का कोई इंतजाम नहीं कर रहा है।
अलग-अलग जिलों में फीडर सुधार कार्यक्रम और रुटीन मेंटिनेंस कार्यक्रम पर मौजूृदा समय में भारी भरकम राशि खर्च की जा रही है लेकिन इसके बावजूद हाईटेंशन लाइनों से दुर्घटनाओं का सिलसिला बदस्तूर जारी है। हालांकि किसी  भी नए रोड प्रोजेक्ट से पहले इसके दायरे में आने वाले हाईटेंशन लाइन और दूसरे विद्युत तंत्र की शिफ्टिंग की जाती है और इसके बाद ही वाहनों के आवागमन के लिए मार्ग को सुरक्षित बनाया जाता है लेकिन अभी भी प्रदेश में सैंकड़ों किलोमीटर लंबे प्रमुख मार्गों से हाइटेंशन लाइनें गुजर रही हैं।
हाईटेंशन लाइनों से होने वाली संभावित दुर्घटनाओं को लेकर कोई खास गंभीरता नहीं बरतने को लेकर डिस्कॉम अधिकारियों का कहना है कि पीडब्ल्यूडी, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, जेडीए या नगरीय निकाय जब शिफ्टिंग का प्र्रस्ताव देते हैं और नियमानुसार इसकी औपचारिकताएं पूरी करते हैं तो डिस्कॉम को इस कार्य को तत्परता से अंजाम देता है। राजधानी में कई बार इन लाइनों को शिफ्ट करने की योजना तैयार की गई लेकिन इन पर कोई अमल नहीं हो पाया है।