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पिंकसिटी प्रेस क्लब के कल और आज पर सत्य पारीक की शानदार किताबSatya Pareek on the yesterday and today of PinkCity Press Clubपिंकसिटी प्रेस क्लब के कल और आज पर सत्य पारीक की शानदार किताब - Dainik Reporters

पिंकसिटी प्रेस क्लब के कल और आज पर सत्य पारीक की शानदार किताब

Sameer Ur Rehman
3 Min Read

पिंकसिटी प्रेस क्लब के कल और आज पर सत्य पारीक की शानदार किताब

आज लंबे समय बाद पिंकसिटी प्रेस क्लब में हमने अपने हमपेशा साथियों के साथ शानदार समय बिताया। मौका था जीवट वाले भाई सत्य पारीक की प्रेस क्लब के इतिहास को दर्ज करती हुई कॉफी टेबल बुक ‘कल और आज’ का विमोचन समारोह जो एक ठंडी बयार की तरह था। घर का सा खुशनुमा माहौल। कोई बाहर का नहीं। सब अपने। खूब ठिठोलियां भी हुई। लगा कोरोना की भौतिक दूरियों पर दिलों की नजदीकियां जीत गई हैं।

इतिहास लिखना आसान नहीं होता क्योंकि अभी हो रही घटनाओं को भी निरपेक्ष दृष्टि से देखना संभव नहीं होता। किंतु कहते हैं ना कि पत्रकार वर्तमान में इतिहास का पहला प्रारूप लिखता है। सत्य पारीक साहब ने इस प्रेस क्लब के इतिहास का पहला प्रारूप लिख दिया है। इसके लिए उनको साधुवाद। इस अवसर पर उन्होंने कहा भी कि अब नए आने वाले लोग और अनुसंधान करें और इसमें कमियां रह गई हैं तो सुधारें। वे प्रेस क्लब की चुनावी राजनीति में भी खूब भागीदार रहे हैं मगर इस पुस्तक में लेखक की सम्यक दृष्टि झलकती है। इसके लिए सत्य पारीक साहब तथा इस पुस्तक के संपादक विमलसिंह तंवर को दाद देना तो बनता ही है।

समारोह में तो हमें लगा कि इस शानदार पुस्तक के छप कर आने से प्रेस क्लब के वर्तमान अध्यक्ष मुकेश मीणा, महासचिव रामेंद्र सोलंकी ही क्यों उनकी कार्यकारिणी के सदस्य, पूर्व अध्यक्ष लल्लू लाल शर्मा, बिल्लू बना वीरेंद्र सिंह राठौड़, राधारमण शर्मा जैसे लोगों के चेहरे दमक रहे थे। इसे महानगर टाइम्स के संपादक भाई गोपाल शर्मा ने इसे बखूबी रेखांकित किया और पत्रकारों के बीच भाईचारे की भावना बनाई रखने पर जोर दिया। उन्होंने सत्य पारीक की तारीफ की कि वे कभी किसी के पक्ष में खड़े नजर नहीं आए। जो उन्हें समझ में आया वही सच लिखा।

इस मौके पर आदरणीय प्रवीण चंद्र छाबड़ा की अनुपस्थिति खली। अपनी पत्नी के हाल ही में हुए निधन के बाद वे अभी किसी समारोह की शिरकत करने की मनः स्थिति में नहीं है। हम समझ सकते है।

क्योंकि प्रेस क्लब के संस्थापकों में मैं भी हूं इसलिए मैने समूह में यह बताना उचित समझा कि भले ही इस काम में अनेकों की मदद रही किंतु सबको जोड़ कर रखने के अपने कौशल से छाबड़ा जी सही में इसके जनक हैं।

नई पीढ़ी के पत्रकारों का उत्साह देख कर आनंद हुआ और आशा बंधी कि पत्रकारिता लुट-पिट गई हो ऐसा भी नहीं है।

किताब का दाम मामूली 100 रुपए छापा गया है पर लेखक ने इसका किसी से कोई दाम न लेने की उदात्त घोषणा की।

 

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Editor - Dainik Reporters http://www.dainikreporters.com/