Jaipur News : प्रदेश में गत वर्ष दिसंबर में आये विधानसभा चुनाव (Assembly elections)के नतीजों के बाद पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे(Ex CM vasundhara Raje) लगातार हाशिए पर चल रही है। अब हालात यह है की जो अब तक उनके साथ चल रहे थे और उनके निकट होने का दावा कर रहे थे अब उन्हीं नेताओं ने राजे से कन्नी काटना शुरू कर दिया है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण पिछले दिनों जयपुर(Jaipur) में देखने को मिला जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने प्रदेश अध्यक्ष के पद पर सतीश पूनिया(Satish Poonia) की नियुक्ति की। पूनिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के दिन वसुंधरा राजे जयपुर में ही थी तथा अगले 3 दिनों तक भी यही रुकी लेकिन इस बीच ना तो राजे भाजपा कार्यालय(BJP Office) में आई और ना ही सतीश पूनिया को उन्होंने बधाई दी।
इधर अब तक वसुंधरा के आगे शरणम गच्छामि रहने वाले प्रदेश अध्यक्षों से अलग हटते हुए पूनिया ने भी ऐसी कोई पहल नहीं की और वसुंधरा राजे से मिलने नहीं गए। सतीश पूनिया का यह रूप देखकर अब पुराने भाजपाइयों में खुशी की लहर है और वह मान कर चल रहे हैं कि राज्य में वसुंधरा युग अंतिम की ओर है। विधानसभा चुनाव की हार के बाद ही यह तय हो गया था की राज्य में अब वसुंधरा राजे का पत्ता काटा जाएगा और धीरे-धीरे केंद्रीय नेतृत्व(Central leadership) में ऐसा कर भी दिया। पहले जहां लोकसभा चुनाव में उनकी भूमिका को नग्न कर दिया गया वहीं उसके बाद किसी भी पार्टी कार्यक्रम या पार्टी के बड़े निर्णय में उन्हें शामिल नहीं किया गया।
अब तो हालात यह है की वसुंधरा राजे जब दिल्ली से जयपुर आती है तो उन्हें अपना स्वागत करवाने के लिए भी पहले कार्यकर्ताओं को फोन करके बुलाना पड़ता है। एक समय था जब उनकी एक झलक पाने तथा उनका साथ देने को कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी रहती थी।
वहीं अब ऐसे दिन फिरे हैं कि कोई उनका साथ देने को राजी नहीं हो रहा अब तक नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) और अमित शाह(Amit Shah) को बार-बार चुनौती देने वाली वसुंधरा राजे भी अब उनके सामने नतमस्तक होती नजर आ रही है। यह बात लोगों के सामने उस समय आई जब राजे मोदी के जन्मदिन पर आयोजित सेवा सप्ताह के एक कार्यक्रम में बिना सूचना ऒर बिना बुलाए ही पहुंच गई।
वहां भाजपा के अन्य नेता भी उपस्थित थे, लेकिन उस कार्यक्रम की किसी को कोई सूचना नहीं दी गई और मीडिया से भी दूरी बनाए रखी गई ।राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है की वसुंधरा राजे केंद्रीय नेतृत्व के निशाने पर है और उनके साथ अब कई भाजपा के नेताओं का भविष्य भी जुड़ा हुआ है।ऐसे में कोई भी उनका साथ देकर केंद्रीय नेतृत्व के कोप का शिकार नहीं बनना चाहता। इन्हीं कारणों से अब कार्यकर्ता और बड़े नेता राजे से कन्नी काटने लगे हैं।