साहित्य आदर्श जीवन मूल्यों की पुनर्स्थापना का काम करता है: डॉ. प्रेम जनमेजय

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Jaipur News।‘व्यंग्य यात्रा’ केयशस्वी संपादक डॉ. प्रेम जनमेजयने कहा है कि साहित्य समाज में फैली विसंगतियों, गैर बराबरी, साम्प्रदायिता, विद्रूपताएँ दूर कर चेतना लाने का काम करता है ।साहित्य आधुनिक विचार के साथ समाज के आदर्श जीवन मूल्यों की पुनर्स्थापना का काम करता है ।

समाज आज जिस प्रकार अन्याय, अत्याचार,असमानता के दौर से गुजर रहा है और आम आदमी जा जीवन का संकट में है,उसमें व्यंग्य सबसे बेहतर हथियार है। जब तोप मुकाबिल हो तब व्यंग्य लेखन समाज को बदलने में महती भूमिका निभा सकता है ।


डॉ.जनमेजय शुक्रवार को यहाँ सुरेश ज्ञानविहार विश्वविद्यालय के सभागार में राही सहयोग संस्थान,जयपुर के तत्वावधान में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद और सुरेश ज्ञान विहार विश्वविद्यालय के चैयरमैन सुनील शर्मा ने कहा कि भाषा, साहित्य और संस्कृति ने ही हमारे जीवन मूल्यों को बचाए रखा है। सभ्यता और संस्कृति किसी भी देश का गौरव है एवं मातृभाषा इसकी बुनियाद है।

ढूँढाडी,हाडौती,मारवाड़ी,मेवाड़ी,वागडी का साहित्य विपुल और समृद्ध है और हिंदी का अस्तित्व इसी पर टिका हुआ है।दुर्भाग्यवश मातृभाषा की आज तक उपेक्षा होती रही है। मातृभाषा का सम्मान करके ही हम मजबूत राष्ट्र में सामाजिक समरसता को बनाए रख सकते हैं।

अब समय आ गया है कि इस दिशा में प्राथमिकता और गंभीरता से कदम उठाएं।इस अवसर पर डॉ.दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने सभी साहित्यिक विधाओं के महत्व पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. हेतु भारद्वाज और नन्द भारद्वाज के साथ डॉ. लालित्य ललित ने कहा कि साहित्य हमारे जीवन में चेतना और सुचिता लाने और प्रगतिशील सोच के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है ।

आज इण्डिया नेटबुक्स, नोएडा,मोनिका प्रकाशन, जयपुर और राही सहयोग संस्थान द्वारा वर्ष 2020 के चयनित देश के 100 लेखकों के उपन्यास,कहानी,लघु कथा, कविता और व्यंग्य विधा पर आधरित पांच पुस्तकों यथा कविता संग्रह ‘संधि की रेखा पार’(संपादक डॉ. संजीवकुमार और डॉ.उषारानी राव), व्यंग्य संग्रह ‘चटपटे शरारे’(संपादक फारूक आफरीदी और कविता मुखर), कहानी संग्रह ‘पंथी को छाया मिले’ (संपादक डॉ. प्रणु शुक्ला), उपन्यास अंश ‘अंशों में अर्श’ (संपादक रमेश खत्री) और लघु कथा संग्रह छोटी छोटी बूंदें (संपादक डॉ. रामकुमार घोटड़) का लोकार्पण किया गया।इनके संपादकों ने पुस्तकों में सम्मिलित रचनाओं की समीक्षा प्रस्तुत की ।

इस मौके पर ये हुए सम्मानित

समारोह के दौरान तीन साहित्यिक विभूतियों प्रतिष्ठित कवि साहित्यकार और विधिवेत्ता डॉ. संजीवकुमार को नन्द चतुर्वेदी काव्य पुरोधा सम्मान, लब्ध प्रतिष्ठ व्यंग्यकार और व्यंग्य यात्रा के संपादक डॉ.प्रेमजनमेजय को डॉ.नरेंद्र कोहली व्यंग्य पुरोधा सम्मानऔर युवा व्यंग्यकार,कवि,संपादक डॉ लालित्य ललित को यज्ञ शर्मा व्यंग्य पुरोधा सम्मान दिया गया।

कार्यक्रम में देश प्रदेश की विभिन्न साहित्यिक, सांस्कृतिक और फिल्म क्षेत्र की अनेक हस्तियाँ मौजूद रही। प्राम्भ में राही संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष प्रसिद्ध उपन्यासकार कथाकार प्रबोध गोविल ने अतिथियों का स्वागत किया और समारोह के संयोजक फारूक आफरीदी ने आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम का संचालन प्रभात गोस्वामी और रेनू शब्दमुखर ने सफलतापूर्वक संचालन किया। कार्यक्रम मैं संस्था की अध्यक्ष डॉ. इंदु बंसल, रजनी मोरवाल, राम कुमार सांभरिया, अरुण कुमार, पुष्पा गोस्वामी, राजेंद्र मोहन शर्मा, राकेश कुमार, एस भाग्यम सहित अनेक गणमान्य प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।

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