राजस्थान में CM गहलोत के लिए साधुसंत और मंत्री की धमकी खड़ी कर सकती मुश्किल

Sadhusant and minister's threat can create trouble for CM Gehlot in Rajasthan

जयपुर/ राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस कार्यकाल में जब से मुख्यमंत्री का ताज पहना है तब से वह लगातार समस्याओं से, पार्टी के अंदर ही चल रही आंतरिक लड़ाई गुटबाजी और अपने ही मंत्रियों की बदजुबानी से जूझ रहे हैं और अब इसी बीच भरतपुर क्षेत्र में आदिबद्री पर्वत को खनन मुक्त करने तथा क्रेशर हटाने को लेकर साधु-संतों के भारी संख्या में एकत्र होकर सरकार के खिलाफ महापड़ाव की चेतावनी और गहलोत सरकार के मंत्री विश्वेंद्र सिंह द्वारा साधु-संतों को दी गई धमकी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सरकार तथा कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकती है ।

राजस्थान के भरतपुर के डीग और कांमा क्षेत्र में आदिबद्री और कनकांचल पर्वतों को पवित्र और भगवान के स्वरूप माना जाता है साधु संत इन पर्वतों को भगवान कृष्ण की क्रीड़ा स्थली मानते हैं और पूजा अर्चना करते हैं। ऐसे में इस क्षेत्रों में चल रहे वैध और अवैध खनन को रोकने के लिए पिछले करीब 2 साल से साधु-संतों का आंदोलन चल रहा है और इसी को लेकर संतों ने करीब 550 दिन तक धरना भी दिया था ।

इसी मामले में 20 जुलाई 2022 को डीग स्थित पसोपा के पशुपतिनाथ मंदिर के महंत विजय दास ने आत्मदाह कर लिया था और इसी मामले को ही लेकर विजय दास बाबा से पहले 4 जुलाई 2022 को इस आंदोलन से जुड़े बाबा हरि बोल दास ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास के बाहर आत्मदाह की चेतावनी दी थी हरि बोल बाबा के साथ 14 साधु संतों ने भी आत्मदाह करने की बात कही थी और इसके बाद इसी आंदोलन से ही जुड़े संत नारायण दास 19 जुलाई को टावर पर चढ़ गए थे।

 मान मंदिर सेवा संस्थान गहवर वन बरसाना से शुरू होकर चौरासी कोस की यात्रा पसोपा में रुकी थी इस यात्रा में लगभग 3000 से अधिक साधु संत शामिल है । श्रीमान मंदिर पसोपा ट्रस्ट के कार्यकारी अध्यक्ष राधा कृष्ण शास्त्री ने डीग एसडीएम को ज्ञापन देकर इस ब्रज क्षेत्र में अवैध खनन में स्टोन के सभी क्रेशर हटाने की मांग की है और शास्त्री तथा संरक्षण समिति के महासचिव ब्रजदास ने स्पष्ट कहा है कि वैध और अवैध तरीके से चल रहे सभी क्रेशरों को तथा अवैध खनन को नहीं हटाया गया तो 1 दिसंबर से ही साधु संत आदिबद्री पर अनिश्चितकालीन धरना और महापड़ाव शुरू करेंगे ।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस महापड़ाव के दौरान किसी भी साधु-संत की जिम्मेदारी हम नहीं लेते हैं वह स्वतंत्र होते हैं वह कुछ भी कर सकते हैं अगर ऐसे में कोई भी अप्रिय घटना होती है तो उसकी सारी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी।

उधर दूसरी और साधु-संतों के इस महापड़ाव को लेकर प्रशासन के हाथ पांव फूल गए हैं तो वही गहलोत सरकार मैं कैबिनेट पर्यटन मंत्री तथा क्षेत्रीय विधायक विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि आदिबद्री पर्वत से खनन मुक्त करा दिया गया है यह सरकार का वादा था लेकिन क्रेशर प्लांटों को भी सरकार बंद कराएं यह वादा सरकार ने नहीं किया था वह लाइसेंस लेकर क्रेशर चला रहे हैं तो क्रेशर चलेंगे ही। अगर साधु संत और बाबा ज्यादा बदमाशी करने की कोशिश करेंगे तो सरकार अपना काम करेगी और अपने तरीके से निपटेगी । मंत्री विश्वेंद्र सिंह की इस धमकी से साधु-संतों में और आक्रोश व्याप्त हो गया है।

उधर साधु संत और संघर्ष समिति के इस आंदोलन को लेकर महापड़ाव और अनिश्चितकालीन धरने के ऐलान का क्षेत्र के मुस्लिम समाज ने भी समर्थन किया है और कहा है कि ब्रज का सारा मुस्लिम समाज मान मंदिर और ब्रज की रक्षा के लिए किए जा रहे कार्यों के लिए सभी संत समाज के साथ है।

साधु संत समाज की यह चेतावनी और संत समाज का मुस्लिम समाज द्वारा सहयोग करना और इसी के साथ ही मंत्री विश्वेंद्र सिंह द्वारा संत समाज को धमकी देना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेश तथा सरकार के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है ?