
जयपुर। मंत्रिमंडल फेरबदल को लेकर चल रही अटकलों के बीच पूर्व डिप्टी सीएम सचिन की ओर से अपने समर्थक विधायकों के साथ सोमवार को विधानसभा के एक बंद कमरे में हुई बैठक कांग्रेस के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। सोमवार को विधानसभा में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान के दौरान पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपने समर्थक विधायकों के साथ एक सुरक्षा अधिकारी एक कमरे में बैठक का चर्चा की थी।
बैठक कितनी गुप्त रखी गई थी कि समर्थक विधायकों के अलावा किसी और को उस कक्ष में जाने नहीं दिया गया था। बैठक में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत, विधायक इंद्राज गुर्जर, राकेश पारीक, जीआर खटाणा, वेद प्रकाश सोलंकी, सुरेश मोदी, हरीश मीणा, रामनिवास गावड़िया भी मौजूद रहे।
ऐसे में कांग्रेस के सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की है कि आखिर सचिन पायलट की अपने समर्थक विधायकों के साथ किस मुद्दे पर चर्चा हुई है। बड़ी बात यह है भी है कि बंद कमरे में चर्चा करने के बाद विधान बाहर आकर विधानसभा की सीढ़ियों पर भी सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों चर्चा करते हुए नजर आए थे। हालांकि इस दौरान न तो सचिन पायलट में मीडिया से विधानसभा के अंदर बात की और न ही बाहर निकलते हुए मीडिया से बात की।
ऐसे में सचिन पायलट की अपने समर्थक विधायकों के साथ हुई चर्चा के कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं।
सूत्रों की माने तो पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट 2 साल से सत्ता और संगठन में किसी पद पर नहीं हैं। ऐसे में डेढ़ साल के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सचिन पायलट अब अपने लिए सत्ता और संगठन में बड़े पद चाहते हैं और इसलिए अब लगातार पार्टी आलाकमान पर भी दबाव बना रहे हैं।
डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए सचिन पायलट की नजर इन दिनों प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पर भी है। सचिन पायलट के समर्थक भी चाहते हैं कि सचिन पायलट को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कमान सौंपी जानी चाहिए, जिससे आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी बेहतर परफॉर्मेंस कर सके।