जयपुर/ महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में गट्टे सियासी घटनाक्रम को लेकर अब कांग्रेश का आलाकमान नेतृत्व राजस्थान को लेकर चिंतित गंभीर हो गया है हालांकि यहां सरकार पर संकट नहीं है लेकिन राजस्थान में पार्टी की पकड़ और मजबूत करने तथा पार्टी के अंदर ही अंदर चल रहे विद्रोह और असंतोष को समाप्त करने के लिए आलाकमान या संगठन के नेतृत्व में बड़ा बदलाव करते हुए युवा दिलों की धड़कन और पार्टी के कद्दावर नेता सचिन पायलट को एक बार फिर प्रदेश की कमान सौंप सकती है ?
राजस्थान में पार्टी के सत्ता में आने के साथ और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अशोक गहलोत के राजतिलक के साथ ही पार्टी में आंतरिक रूप से असंतोष की छोटी सी चिंगारी लगने लग गई थी और यह चिंगारी उपमुख्यमंत्री ता कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट को दोनों ही पदों से पदच्युत करने के साथ ही भभक कर विद्रोह के रूप में सामने आ गई है और पिछले डेढ़ साल से लगातार अशोक गहलोत समर्थक और सचिन पायलट समर्थक विधायकों और कार्यकर्ताओं में एक दूसरे के खिलाफ प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से बयान बाजी का दौर जारी है तो वही मुख्यमंत्री गहलोत और पायलट के बीच भी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से वाक युद्ध चल रहा है।
इसको लेकर कांग्रेश आलाकमान द्वारा कई बार असंतोष और विद्रोह को खत्म करने के काफी प्रयास किए गए हैं लेकिन अभी तक इसमें कोई सफलता नहीं मिली और अगले साल राजस्थान में विधानसभा के चुनाव हैं तथा हाल ही में महाराष्ट्र में और इससे पूर्व मध्य प्रदेश में घटे सियासी घटनाक्रम तथा पंजाब चुनाव से पूर्व पार्टी मैं संतोष और विद्रोह का खामियाजा चुनाव में कांग्रेस स्कोर किस तरह उठाना पड़ा।
इसको लेकर पार्टी आलाकमान स्तर पर मंथन के साथ ही पार्टी सुप्रीमो सोनिया गांधी राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा के बीच काफी मंथन हुआ कथा राहुल गांधी द्वारा सार्वजनिक रूप से सचिन पायलट के सब्र के इंतहा बात कही थी तथा पिछले सप्ताह ही सचिन पायलट के दिल्ली दौरे के दौरान आलाकमान से मुलाकात के बाद यह संकेत दिए गए क्या सचिन पायलट को एक बार फिर से बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी और राजस्थान में आने वाले विधानसभा चुनाव को मद्देनजर तथा पार्टी में चल रहे।
आंतरिक असंतोष को समाप्त करने और प्रदेश में पार्टी की पकड़ एक बार फिर से मजबूत बनाने और आने वाले विधानसभा चुनाव में मिथक को तोड़ कर कांग्रेसका सत्ता पर रिपीट होने के पहलुओं को देखते हुए सचिन पायलट को एक बार फिर से कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बनाया जा सकता है ?
इधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नहीं चाहते कि सचिन पायलट कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने ताकि चुनाव में वह अपने-अपने समर्थकों को टिकट दे गहलोत की मंशा है कि गोविंद सिंह डोटासरा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने रहे इसको लेकर गहलोत ने आलाकमान को डोटासरा की उपलब्धियों का बखान भी किया।
लेकिन इस बार गहलोत सचिन पायलट को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनने से कहां तक और कब तक रोक पाएंगे यह कहना अभी नामुमकिन है क्योंकि राजनीति में हर पल स्थितियां बदल जाती है लेकिन बरहाल यह संकेत तो जरूर है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर एक बार फिर सचिन पायलट की ताजपोशी हो सकती है ?