
जयपुर/ पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष तथा युवाओं की धड़कन सचिन पायलट ने एक बार फिर अपने राजनीतिक घुरु विरोधी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मुखर होकर मुंह खोलते हुए कहा है कि आखिर विधायकों ने किसके दबाव में या किस लालच में या किसकी धमकी से इस्तीफे दिए थे।
इस मामले की जांच होनी चाहिए और कांग्रेस को राजस्थान में वापस सत्ता में आना है तो पार्टी आलाकमान को यह जांच करानी चाहिए और तत्कालीन कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के आदेशों की अवहेलना करने वाले 3 जिम्मेदार नेताओं के खिलाफ अब तक कार्रवाई में देरी क्यों।
सचिन पायलट ने मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में 25 सितंबर को राष्ट्रीय कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के निर्देश पर बुलाई गई।
विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने के मामले में जिम्मेदार नोटिस देने 3 नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में देरी पर भी सवाल उठाया कि आखिर कांग्रेस आलाकमान अब तक कार्रवाई इनके खिलाफ क्यों नहीं कर रहा है।
वही पायलट ने कहा कि विधानसभा स्पीकर ने हाईकोर्ट में दायर हलफनामे में इसका उल्लेख किया है कि 81 विधायकों के इस्तीफे मिले और कुछ ने व्यक्तिगत तौर पर इस थी पर स्थित है हलफनामे में यह भी कहा गया कि कुछ विधायकों के इस्तीफे फोटो कॉपी और बाकी को स्वीकार नहीं किया गया।
क्योंकि इस्तीफे विधायकों ने अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे यह एक कारण था जिसके आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने इसे अस्वीकार के पायलट ने कहा कि यह इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए क्योंकि उनकी मर्जी से नहीं दिए गए थे।
अगर वह अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे तो यह किसके दबाव में दिए गए थे क्या कोई धमकी थी ? क्या लालच था ह या दबाव था ? यह ऐसा विषय है जिस पर पार्टी आलाकमान की ओर से जांच किए जाने की जरूरत है ।
इसके साथ ही सचिन पायलट ने कहा कि पिछले साल जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करके तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी निर्देश की अवहेलना करने वाले नेताओं के खिलाफ कार में बहुत ज्यादा देरी हो रही है।
हमें अगर राजस्थान में हर 5 साल में सरकार बदलने की परंपरा को तोड़ना है और कांग्रेस को वापस सत्ता में लाना है तो पार्टी आलाकमान को कांग्रेस से जुड़े इन मामलों पर जल्दी फैसला करना होगा।