
जयपुर। प्रदेश कांग्रेस में करीब 2 साल से अनुशासन समिति भंग होने का खमियाजा इन दिनों प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व को उठाना पड़ रहा है। अनुशासन समिति नहीं होने के चलते पार्टी लाइन से अलग हटकर बयान देने वाले नेताओं पर अनुशासन का डंडा नहीं चल पा रहा है। प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलने और छात्र संघ चुनाव में एनएसयूआई की हार के बाद गहलोत- पायलट गुट के नेताओं के बीच बयानबाजी चरम पर है, दोनों खेमों से जुड़े नेता एक दूसरे पर तीखे शब्द बाण चला रहे हैं।
सीसीसी गोविंद सिंह डोटासरा की ओर से दोनों ही टीमों के बयानवीरों को भले ही पार्टी अनुशासन में रहने की चेतावनी जारी की गई हो लेकिन बावजूद इसके, दोनों ही खेमों के नेताओं पर इस नसीहत का कोई असर नहीं हो रहा है। ऐसे में अनुशासन समिति भंग होने के चलते सार्वजनिक मंचों पर पार्टी लाइन से अलग बयानबाजी करने वाले नेताओं पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है, जिससे इन नेताओं के भी हौसले बुलंद हैं।
अनुशासन समिति के अभाव में पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा चाहकर भी बयानबाजी करने वाले नेताओं को केवल नसीहत देने के अलावा कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। गहलोत-पायलट कैंप के नेताओं के बीच इन दिनों चल रही थी की बयानबाजी की चर्चा कांग्रेस के सियासी गलियारों में भी खूब है। सियासी गलियारों में भी चर्चा है कि जब अनुशासन समिति ही नहीं है तो फिर बयानवीरों पर अनुशासन का डंडा कौन चलाएं।
दरअसल कांग्रेस की अनुशासन समिति साल 2013 में डॉ. चंद्रभान के पीसीसी अध्यक्ष रहते बनीं थी। पूर्व मंत्री हीरा लाल इंदौरा को अनुशासन समिति का चेयरमैन बनाया गया था। अनुशासन समिति में आधा दर्जन सदस्य थे। जिनमें पूर्व मंत्री प्रद्युमन सिंह, और दिवंगत मास्टर भंवर लाल शर्मा भी सदस्य थे। सचिन पायलट के कार्यकाल में भी इसी समिति को बरकरार रखा गया था, लेकिन जुलाई 2020 में सचिन पायलट कैंप की बगावत के बाद कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी, जिला-ब्लॉक और तमाम ईकाईयों को भंग कर दिया था, तब से ही अनुशासन समिति भी भंग है। अब फिर अनुशासन समिति के गठन होने का इंतजार हो रहा है।
वहीं सचिन पायलट खेमे के माने जाने वाले विधायक वेद प्रकाश सोलंकी और एससी आयोग के चेयरमैन खिलाड़ी बैरवा ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और सचिन पायलट मुख्यमंत्री में बनाने की मांग चला रखी है, साथ ही वेद प्रकाश सोलंकी ने तो यहां तक कह दिया था कि उनकी निष्ठा सचिन पायलट के प्रति है पार्टी के प्रति नहीं। यही हाल सचिन पायलट खेमे के माने जाने वाले इंद्राज गुर्जर का है, जिन्होंने हाल ही में गहलोत समर्थक माने जाने वाले गुर्जर समाज के जनप्रतिनिधियों को चुनाव में सबक सिखाने की बात कही थी।