सांभर झील में रेस्क्यू ऑपरेशन, 172 पक्षियों की जान बचाई

liyaquat Ali
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  • वन मंत्री सुखराम विश्नोई ने लिया अभियान का जायजा

Jaipur News / Dainik reporter :  सांभर झील (Sambhar Lake)में पक्षियों की मौत (Birds death)के बाद शुक्रवार को घायल पक्षियों को रेस्क्यू (Rescue) करने के लिए 150 से भी अधिक स्वयंसेवकों, कर्मचारी, अधिकारियों, चिकित्सकों ने अभियान चलाया। इसमें 172 पक्षियों की जान बचाई गई।

 

झील की रतन सागर, झपोल डेम साइट मृत पक्षियों से साफ की गई एवं शाकम्भरी साइट पर शनिवार को रेस्क्यू एवं मृत पक्षियों का सर्च अभियान जारी रहेगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री सुखराम विश्नोई (Minister of State for Forest and Environment Sukhram Vishnoi) ने भी सांभर क्षेत्र का दौरा कर रेस्क्यू अभियान की कार्रवाई का जायजा लिया।

बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरूवार देर रात इस मामले में बैठक कर मृत पक्षियों के सुरक्षित निस्तारण एवं घायल पक्षियों के इलाज चिकित्सा के निर्देश दिए थे। वन मंत्री विश्नोई ने पूरे अभियान में लगाई गई टीमों, घायल पक्षियों को दिए जा रहे उपचार एवं मृत पक्षियों के निस्तारण की प्रक्रिया की ली और वहां काम कर रहे लोगों की हौंसला अफजाई की।

रेस्क्यू अभियान के तहत सुबह से ही नागरिक सुरक्षा के 60 स्वयंसेवकों एवं एसडीआरएफ के 18 सदस्यों की टीमों ने बड़े स्तर पर झील में घायल पक्षियों की तलाश एवं मृत पक्षियों के शवों को एकत्र कर निस्तारण के लिए भेजे जाने का कार्य शुरू किया। पक्षी विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे पहले मृत पक्षियों के शवों का सुरक्षित निस्तारण किया जाकर अन्य पक्षियों की जान बचाई जा सकती है।

ऐसे में रेस्क्यू टीमों ने मिलकर झील में रतन सागर के पीछे, झपोल डेम के अन्दर एवं शाकम्भरी साइट पर मृत पक्षियों की तलाश का काम किया। सबसे पहले रतन सागर में अभियान चला जहां करीब 15 पक्षी मृत मिले और 56 घायल पक्षियों को इस साइट से रेस्क्यू किया गया। एसडीआएफ की टीमों को झपोक डेम में 15 सौ से ज्यादा मृत पक्षी मिले और 116 पक्षी रेस्क्यू किए गए।

यहां मिले मृत पक्षियों की मौत दो दिन पहले हो गई थी। साथ ही घायल पक्षियों को दवाईयां दी गई। इसके लिए पशुपालन विभाग का के 22 सदस्यीय दल को लगाया गया है। अभियान की साइट पर सुबह पशुपालन विभाग की टीम ने पक्षियों के सैंम्पल लिए हैं जो बरेली और कोयम्बटूर की लैब में भेजे गए हैं। यहां की रिपोर्ट मिलने पर पक्षियों की मौत का कारण पूरी तरह सामने आ जाएगा।

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