राज्यसभा चुनावः अपनों की नाराजगी न पड़ जाए भारी, डैमेज कंट्रोल में जुटे सत्ता- संगठन,पायलट कैंप के बाद अब गहलोत समर्थक विधायकों की भी नाराजगी खुलकर आई सामने

Sameer Ur Rehman
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जयपुर। प्रदेश में राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही चुनावी हलचल भी तेज हो गई है। राज्यसभा चुनाव में भले ही सत्तारूढ़ कांग्रेस 3 सीटों पर जीत के दावे करती हो, लेकिन पार्टी के विधायकों में अंदरखाने चल रही नाराजगी राज्यसभा चुनाव में पार्टी पर भारी पड़ सकती है। पायलट कैंप के साथ ही गहलोत कैंप के तकरीबन एक दर्जन विधायकों में नाराजगी लगातार बढ़ रही है।

गहलोत समर्थक माने जाने वाले विधायकों ने कई बार मुखर होकर सरकार की कार्यशैली की आलोचना भी की है। हालांकि इनमें कई विधायक ऐसे हैं जो सरकार की कार्यशैली से नाराज हैं तो कई विधायक ऐसे भी हैं, जिन्हें न तो राजनीतिक नियुक्तियां मिल पाई और न ही मंत्रिमंडल में स्थान। ऐसे में राज्यसभा चुनाव में इन विधायकों की नाराजगी का खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ सकता है। लगातार नाराजगी की खबर सामने आने के बाद अब डैमेज कंट्रोल भी शुरू हो गया है।

सत्ता और संगठन जुटे मान मनौव्वल

सूत्रों की माने तो नाराज विधायकों को मनाने की कवायद सत्ता और संगठन ने शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने नाराज विधायकों से संपर्क साधकर उनसे फोन पर बात भी की है और उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास भी किया है। साथ ही राज्यसभा चुनाव के बाद उनकी शिकायतों का निस्तारण करने आश्वासन भी दिया है।

सियासी संकट के दौरान खड़े थे गहलोत कैंप के साथ

दरअसल जिन विधायकों की नाराजगी इन दोनों खुलकर सामने आ रही है। वो सभी विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वस्त माने जाते हैं और सियासी संकट के दौरान मजबूती के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पक्ष में खड़े रहे थे, लेकिन अब इन विधायकों की नाराजगी बढ़ने से पार्टी थिंक टैंक में भी बेचैनी है।

मुकदमा दर्ज करने से नाराज हैं घोगरा-मलिंगा

मुख्यमंत्री गहलोत से कट्टर समर्थक माने जाने वाले विधायक गणेश घोगरा और गिर्राज सिंह मलिंगा अपने ऊपर मुकदमे दर्ज होने से नाराज हैं। दोनों विधायकों के समर्थकों का कहना है कि उन्होंने जनहित के मुद्दे उठाए थे उसके बावजूद उन पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जबकि सियासी संकट के दौरान भी दोनों विधायक मुख्यमंत्री के साथ खड़े रहे थे।

बसपा से आए विधायकों में बढ़ी नाराजगी

वहीं बसपा से कांग्रेस में आए विधायक वाजिब अली और संदीप यादव सत्ता और संगठन से नाराज हैं। इन दोनों विधायकों की नाराजगी की वजह यह है कि न तो इन्हें राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट किया गया और न ही मंत्रिमंडल पुनर्गठन में इनका नंबर आया, जबकि इनके अन्य साथी राजेंद्र गुढ़ा और जोगिंदर अवाना को सरकार में प्रतिनिधित्व दिया गया है।

मंत्री नहीं बनाए जाने से बैरवा नाराज

इधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के एक और कट्टर समर्थक माने जाने वाले बसेड़ी विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा भी मंत्रिमंडल पुनर्गठन में मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं। हालांकि उन्हें एससी आयोग का चेयरमैन बनाया गया है लेकिन वो इससे संतुष्ट नहीं हैं। खिलाड़ी बैरवा का झुकाव भी इन दिनों पायलट कैंप की ओर देखने को मिलता है।

दिव्या मदेरणा की भी नाराजगी आई बाहर

इधर ओसियां से कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा की भी नाराजगी लगातार सामने आ रही है। दिव्या मदेरणा कई बार सरकार के साथ-साथ जलदाय मंत्री महेश जोशी को भी अपने निशाने पर ले चुकी हैं। दिव्या मदेरणा को भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का समर्थक माना जाता है लेकिन अंदर खाने वह भी कई बार सरकार की आलोचना करती रही हैं।

राम नारायण मीणा-अमीन खां

इधर वरिष्ठ विधायक रामनारायण मीणा और अमीन खां भी इन दिनों सत्ता और संगठन से नाराज चल रहे हैं। हाल ही में बजट सत्र के दौरान भी दोनों विधायक कई बार सरकार को अपने निशाने पर ले चुके हैं। दोनों ही विधायकों की नाराजगी भी मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर कई बार सामने आ चुकी है।

एकजुटता के लिए बाड़ेबंदी का सहारा

बताया जाता है कि राज्यसभा चुनाव में नाराज विधायकों की नाराजगी दूर करने और उन्हें एकजुटता का पाठ पढ़ाने के लिए कांग्रेस थिंक टैंक बाड़ेबंदी पर विचार कर रहा है। बताया जा रहा है कि इसके लिए जल्द ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा प्रदेश प्रभारी अजय माकन और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ चर्चा भी करने वाले हैं,जिसमें बाड़ेबंदी का फैसला लिया जाएगा। माना जा रहा है कि दिल्ली रोड स्थित एक लग्जरी होटल

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Editor - Dainik Reporters http://www.dainikreporters.com/