Jaipur news। प्रदेश में कोरोना का सामुदायिक संक्रमण होने के बाद अब राज्य सरकार इसे रोकने में लाचार नजर आ रही है। सरकार के पास चिकित्सा व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने कि कोई कार्य योजना नहीं है, जिसके चलते अब अस्पतालों में हालात इतने विकट हो चुके हैं कि लोगों को बेड, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर नहीं मिल रहे हैं।
वही निजी अस्पतालों को कोरोना इलाज के लिए अधिकृत किए जाने के बाद यह अस्पताल लूट का अड्डा बन गए हैं। हालात यह है कि प्रदेश में कोरोना के कारण प्रतिदिन 30 से 50 मौतें हो रही है पर सरकार सभी आंकड़ों को छुपाते हुए सिर्फ 15 मौत ही बता रही है।
कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देर रात बड़ा निर्णय करते हुए एक बार फिर 11 शहरों में धारा 144 लगाई है गत मार्च में भी कोरोना के शुरुआती चरण में धारा 144 लगाई गई थी और उसके बाद लोक डाउन की घोषणा की गई अब दुबारा यही स्थितियां बन रही है। ऐसे में संभावना है कि सरकार कुछ छूटो के साथ 15 दिनों के लॉक डाउन की घोषणा कर सकती है।
सर्व विदित है कि कोरोना को काबू करने के लिए सरकार ने लॉक डाउन के अधिकार जिला कलेक्टर को दिए थे परंतु दृढ़ इच्छाशक्ति और राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण कलेक्टर इस मामले में कोई विशेष कार्य नहीं कर पाए। एक समय जब अलवर जिला कोरोना के लेकर राजस्थान में पहले नंबर पर आ गया तो वहां कलेक्टर ने 15 दिन का लोक डाउन लगा दिया उसके बाद हालात ऐसे काबू आए कि अब अलवर छठे स्थान पर है। वही कोटा कलेक्टर ने भी 7 दिन के लोग डाउन की घोषणा की लेकिन विभिन्न संगठनों और राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते यह सफल नहीं हो पाया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोरोना का संक्रमण रोकने की लिए लोग डाउन ही सबसे बेहतर कार्य है। अब जब प्रदेश में बड़ी संख्या में कोरोना के पॉजिटिव सामने आ रहे हैं और चिकित्सा व्यवस्था लाचार है तो सरकार को राजनीतिक दखलअंदाजी बंद कर लॉकडाउन जैसा सख्त कदम उठाने पर विचार करना ही होगा।
हालांकि तय माना जा रहा है की अबकी बार लॉक डाउन के दौरान लोगों को कुछ छूट दी जाएगी। सभी व्यापार मंडलों से बात करने के बाद ही यह निर्णय लिया जाएगा।