जयपुर। प्रदेश की चार विधानसभा सीटों पर काबिज विधायकों के असामयिक निधन के बाद वहां प्रस्तावित उपचुनाव को लेकर भाजपा-कांग्रेस अपनी-अपनी पार्टी में नेताओं के बीच कथित तौर पर उपजी खाई को पाटने की कवायद में जुट गए हैं। दोनों ही दलों के प्रदेश प्रभारियों ने अपने-अपने स्तर पर मोर्चा संभाल लिया है और अपनी कोशिशों से जनता को यह संदेश दिया जाने लगा है कि पार्टी में ऑल इज वैल है। दोनों ही दलों की कोशिश खुद के कुनबे को संभालने की भी है। इस सबसे बड़े चुनौतीपूर्ण टास्क की कमान कांग्रेस-भाजपा के प्रदेश प्रभारियों ने संभाली हुई है।
कांग्रेस में जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच उपजी दूरियों को पाटने में प्रदेश प्रभारी अजय माकन सक्रियता दिखा रहे हैं, वहीं भाजपा में कथित तौर पर विभिन्न धड़ों में बंटी पार्टी को एकजुट रखने के लिए प्रदेश प्रभारी अरूण सिंह सक्रिय हो गए हैं।
प्रदेश कांग्रेस और प्रदेश भाजपा में अंदरूनी खींचतान पर दोनों ही पार्टियों के केंद्रीय संगठनों की पैनी नजर है। कांग्रेस में जहां पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार फीडबैक ले रहे हैं, तो वहीं अपनी ही पार्टी के नेताओं की आपसी अदावत से जुड़ी पल-पल की अपडेट सीधे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक पहुंच रही हैं।
दोनों ही राजनीतिक दलों में धड़ेबाजी कभी खुलकर तो कभी संकेतों के ज़रिए सामने आते रहे हैं और ये सिलसिला अब भी जारी है। इसकी जानकारी दोनों ही पार्टियों के प्रदेश नेतृत्व से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक को है।
लेकिन, मीडिया के सामने और सार्वजनिक कार्यक्रमों में लगातार ‘ऑल इज़ वेल’ का संदेश दिया जा रहा है। कांग्रेस प्रभारी माकन और भाजपा प्रभारी सिंह के प्रदेश दौरों ने इन दिनों रफ़्तार पकड़ी हुई है। भले ही दोनों नेता प्रदेश की चार सीटों पर उपचुनाव की तैयारियों के सिलसिले में आते हैं, लेकिन इसी बहाने अपनी ही पार्टी के नेताओं के बीच मतभेद और मनभेद दूर करने की जद्दोजहद में भी रह रहे हैं। दोनों प्रभारियों की कोशिश अलग-अलग धड़ों में बंटे नेताओं को करीब लाने की है।
कांग्रेस और भाजपा के प्रदेश प्रभारियों के लिए पार्टी नेताओं और उनके समर्थक कार्यकर्ताओं की नाराजगी को कम करना आसान नहीं है।
कांग्रेस में पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे के समर्थकों में नाराजगी बढ़ी हुई है तो वहीं भाजपा में वसुंधरा खेमे के समर्थक कार्यकर्ता नाराज हैं। समर्थकों को अपने नेता की अपनी ही पार्टी में बेकद्री और उचित सम्मान नहीं देने की पीड़ा है। इस नाराजगी को वे वक्त-बेवक्त अलग-अलग माध्यमों से दर्शाते भी रहे हैं। कांग्रेस ने शनिवार को गहलोत, पायलट, माकन व डोटासरा को किसान सम्मेलनों के बहाने एक मंच पर बिठाने के साथ एक हैलिकॉप्टर में सवारी का मौका देकर विरोधियों को एकजुट होने का संदेश दिया है, वहीं भाजपा में भी हर मंच पर जनप्रतिनिधियों में एकता का मंत्र फूंका जा रहा है। कार्यसमिति की बैठक में 02 मार्च को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को बुलाने का मकसद भी गुटबाजी को विराम देने से जोडक़र देखा जा रहा है।