Jaipur News । राजस्थान में जहां कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के गुटों के बीच तनातनी का माहौल है, उसी तर्ज पर प्रदेश भाजपा में भी हालात सामान्य नहीं है। कांग्रेस की सरकार जहाँ दो गुटों के बीच फंसी हुई है, वहीं भाजपा 4 बड़े नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई को लेकर जूझ रही है। इन सबके बीच पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एक बार फिर राजस्थान में अपनी सक्रियता बढ़ाने में जुट गई है।
वहीं संगठन के माध्यम से वसुंधरा को टक्कर दे रहे सतीश पूनिया अब नई रणनीति बनाने में जुट गए हैं। इसी क्रम में पहले उन्होंने जहां अपने साथ उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को मिलाकर सरकार बनाने की रणनीति बनाई थी, वहीं अब उन्होंने राठौड़ को बाहर कर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के साथ दोस्ती की पींगे बढ़ाना शुरू कर दिया है।
इसी क्रम में सबसे पहले सेवा सप्ताह के दौरान लगे बैनर और पोस्टर में बानगी भी नज़र आ रही है कि इनमें सतीश पूनिया के साथ गुलाबचंद कटारिया को जगह दी गई है जबकि वसुंधरा और राजेंद्र राठौड़ की फोटो को हटा दिया गया है।
भाजपा का यह पोस्टर-वॉर नया नहीं है, इससे पहले भाजपा मुख्यालय के बाहर वसुंधरा राजे की फोटो को हटाकर भी बैनर लगाए जा चुके हैं। उनमें अधिकांश बैनर में राठौड़ को जगह दी गई थी, लेकिन अब की बार उनकी जगह कटारिया को आगे किया गया है। पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया संघ-निष्ठ नेता माने जाते हैं, वहीं सतीश पूनिया भी संघ की पृष्ठभूमि रखते हैं। ऐसे में संघ के दखल से अब भाजपा में नए समीकरण बन रहे हैं जो अगले विधानसभा चुनाव के बाद वसुंधरा को राजस्थान से दूर करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
राजस्थान की भाजपा में जहहाँ संगठन में सतीश पूनिया प्रदेश अध्यक्ष बनकर अपना अलग गुट बनाए हुए हैं, वहीं कुछ विधायकों और राजपूत समाज के नेताओं को साथ में लेकर राठौड़ की भी गहरी पकड़ है। इसके अलावा संघ के धड़े में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और कुछ संघ-निष्ठ विधायक है जो मौके पर ही अपना मुँह खोलते हैं।
इन सबसे अलग राजस्थान की राजनीति में तेज़ी से आगे बढ़ रहे केंद्रीय मंत्री व जोधपुर सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत का भी गुट है, जो बहुत शांत रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है। शेखावत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की पसंद माने जाते हैं और उनके निर्देश पर ही राजस्थान में अपना वर्चस्व पा रहे हैं। ऐसे में भाजपा के कई पदाधिकारी और विधायक चोरी छुपे शेखावत के गुट में एंट्री करने की जुगत में लगे हुए हैं। राजस्थान में शेखावत का गुट अन्य सभी दलों पर भारी पड़ रहा है।