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राजस्थान के गांवों में कांग्रेस के लिए मिथक टूटा तो शहरी निकायों में भाजपा का तिलिस्म बिखरा - Dainik Reporters

राजस्थान के गांवों में कांग्रेस के लिए मिथक टूटा तो शहरी निकायों में भाजपा का तिलिस्म बिखरा

Sameer Ur Rehman
4 Min Read

Jaipur News । पंचायत चुनावों के नतीजों के बाद भारतीय जनता पार्टी निकाय चुनाव में जिस तरह से शहरी निकायों के नतीजों की उम्मीद कर रही थी, नतीजों ने भाजपा को तीसरे स्थान पर धकेल दिया है। पंचायत चुनाव के दौरान कांग्रेस गांवों में कमजोर हुई, लेकिन रविवार को घोषित निकाय चुनावों में पार्टी शहरों में मजबूत होकर उभरी है। खेत-खलिहानों में कमल जमकर खिला, लेकिन शहरों में मुरझा गया। गांवों की काश्तकार जातियां और दलित तबका पंचायत चुनाव में हमेशा कांग्रेस का परम्परागत वोट बैंक रहा था। यहां तक की विपक्ष में रहने के बावजूद कांग्रेस का ग्रामीण अंचल में पंजा मजबूत रहता था, लेकिन इस बार यह मिथक टूट गया। भाजपा जनरल कास्ट-मूल ओबीसी वोटर्स के बलबूते शहरों में हमेशा विजयी होती आ रही थी, लेकिन इस बार उसका शहरों में तिलिस्म टूट गया।

प्रदेश में 50 शहरी निकायों के कुल 1775 वार्ड के लिए हुए चुनाव में से 620 वार्ड जीतकर कांग्रेस पहले नंबर पर रही हैं। निर्दलीयों के खाते में 595 वार्ड आए हैं, जबकि भाजपा तीसरे स्थान पर लुढक़ गई। उसे 548 वार्डों में ही जीत मिली है। जबकि, बसपा के खाते में 7, सीपीआई 2, सीपीआईएम के 2, आरएलपी के एक प्रत्याशी ने जीत हासिल की है। कांग्रेस को ज्यादातर उन इलाकों में जीत मिली है, जहां उसके विधायक हैं।
कांग्रेस और भाजपा ने नगर निकाय चुनाव में बड़े पैमाने पर ओपन वार्ड छोड़े हुए थे। किसी को टिकट ही नहीं दिया गया। कहा जा रहा था कि जो निर्दलीय जीतेंगे, उसे अपनी पार्टी में शामिल करा लेंगे। यहीं कारण रहा कि इस बार भाजपा से भी अधिक संख्या में निर्दलीय लडक़र जीत गए। उनकी संख्या कांग्रेस से मामूली ही कम है।
कांग्रेस को सबसे ज्यादा सफलता जयपुर में मिली है। इसके अलावा अलवर, बारां, भरतपुर, धौलपुर, श्रीगंगानगर, जयपुर, कोटा और सवाईमाधोपुर में भी कांग्रेस ने अपना परचम फहराया है। जयपुर के बाद श्रीगंगानगर की 8 नगर पालिकाओं में से 5 पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया है। भरतपुर में भाजपा ने कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया। यहां 8 निकायों के नतीजे आए। इनमें 6 भाजपा और 2 कांग्रेस के पक्ष में रहे। कोटा की दो नगरपालिकाओं में से एक कांग्रेस और एक भाजपा के खाते में गई। अलवर के छह निकायों में से 3 कांग्रेस और 3 भाजपा के खाते में गए।
रणनीति के तहत भाजपा और कांग्रेस ने सिंबल पर चुनाव नहीं लडक़र ओपन छोड़ दिए थे। भरतपुर जिले में तो पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने डीग-कुम्हेर में किसी को टिकट देकर मैदान में उतारा ही नहीं। अब माना जा रहा है कि विश्वेंद्र सिंह अपने इलाके में कांग्रेस का बोर्ड बनाकर अपना दमखम दिखाएंगे।
ये चुनाव अलवर, बारां, करौली, दौसा, भरतपुर, जयपुर, धौलपुर, श्रीगंगानगर, जोधपुर, कोटा, सवाईमाधोपुर, सिरोही जिलों में कराए गए थे। इन 12 जिलों के 50 नगर निकायों के लिए 11 दिसंबर को चुनाव हुए थे। इन चुनावों में 7249 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा है। अब अध्यक्ष पद के लिए 14 दिसंबर को लोक सूचना जारी होगी। नामांकन पत्र 15 को 3 बजे तक प्रस्तुत किए जा सकेंगे। नामांकन पत्रों की संवीक्षा 16 दिसंबर को होगी। 17 दिसंबर को 3 बजे तक अभ्यर्थिता वापस ली जा सकेगी। चुनाव चिन्हों का आवंटन 17 को होगा। अध्यक्ष के लिए वोटिंग 20 दिसंबर को सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक होगा। गिनती वोटिंग के तुरन्त बाद होगी। उपाध्यक्ष के लिए वोटिंग 21 दिसंबर को होगी।
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Editor - Dainik Reporters http://www.dainikreporters.com/