जयपुर/ राजस्थान में विधानसभा चुनावों की रणभेरी बज चुकी है और प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस इस चुनावी दंगल में सत्ता पाने के लिए जोर आजमाइश करने के लिए मैदान में कूद पड़े हैं अब कौन बनेगा विजेता यह तो मतदान और मतगणना के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा लेकिन वर्तमान हालात और परिस्थितियों के मध्य नजर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को दरकिनार किए जाने से राजे की नाराजगी कांग्रेस के लिए सत्ता का रास्ता आसान करेगी । वसुंधरा राजे की चुनाव में क्या भूमिका रहेगी इस पर आज पर्दा उठ जाएगा ।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा द्वारा 2 सितंबर से प्रदेश भर में परिवर्तन संकल्प यात्रा निकाली जा रही है जिसका समापन आज जयपुर में वृहद स्तर पर होगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित केंद्रीय मंत्री और शीर्ष नेता भी इस आम सभा में शामिल होंगे।
लेकिन इस परिवर्तन यात्रा के दौरान जब 2 सितंबर को परिवर्तन यात्रा प्रारंभ हुई थी तब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे नजर आई थी लेकिन उसके बाद पूरी परिवर्तन यात्रा के दौरान वसुंधरा राजे कहीं भी नजर नहीं आई और वह पिछले लंबे समय से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।
वसुंधरा राजे का परिवर्तन यात्रा से दूरी बनाए रखने के पीछे यह कारण माना जा रहा है कि वसुंधरा राजे को परिवर्तन यात्रा के दौरान शीर्ष नेतृत्व नहीं दिया गया और न ही अभी तक विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे की भूमिका क्या रहेगी यह भी केंद्रीय नेतृत्व द्वारा तय नहीं किया गया है।
अब तक के हालात और परिस्थितियों व केंद्रीय नेतृत्व की कार्य प्रणाली से यह सामने आया आ रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व वसुंधरा राजे को पूरी तरह से इस चुनाव में दरकिनार करना चाहता है ? और यही कारण रहा है कि अभी तक वसुंधरा राजे की भूमिका चुनाव में तय नहीं की गई है और इसी के चलते वसुंधरा राजे नाराज होकर दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। हालांकि दिल्ली में डेरा डालें रहने के दौरान उन्होंने किसी भी केंद्रीय नेता से मिलने और अपना पक्ष रखने की कोशिश नहीं की है ।
आज जयपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशाल आम सभा है। इस आम सभा में मंच पर वसुंधरा राजे की उपस्थिति रहेगी या नहीं ? यह आज स्पष्ट हो पाएगा। लेकिन इसी के साथ ही इस विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की भूमिका क्या रहेगी इस पर से भी इस आमसभा के दौरान पर्दा उठ जाएगा ?
राजे ही कांग्रेस से सत्ता छीन सकती ? नही तो..
अगर केंद्रीय नेतृत्व द्वारा वसुंधरा राजे को मुख्य भूमिका में लाकर विधानसभा चुनाव लड़ने का आज इस चुनावी आमसभा से ऐलान होता है तो वसुंधरा राजे और उनके समर्थक जोर खरोस के साथ इस चुनाव में जुड़ जाएंगे और भाजपा कांग्रेस को कड़ी टक्कर देते हुए सत्ता हतिया ले इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं लेकिन अगर आज आमसभा में वसुंधरा राजे की भूमिका तय नहीं होती है तो फिर वसुंधरा राजे और उसके समर्थक इस चुनाव में पार्टी के विरोध में फ्रंट में तो नहीं आएंगे परंतु मौन धारण करते हुए पिछले दरवाजे से कारगुजारी कर सकते हैं? इसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिलेगा और कांग्रेस की एक बार फिर सत्ता में वापसी की रहा आसान हो जाएगी ।
राजे का जलवा है बरकरार
राजस्थान मे आज भी वसुंधरा राजे का जलवा पूरे प्रदेश में बरकरार है और यह जलवा उनके जन्मदिन तथा धार्मिक यात्राओं के दौरान देखा जा चुका है। जबकि इस परिवर्तन यात्रा के दौरान भाजपा के मनसूबों पर पानी फिर गया जब वसुंधरा राजे की गैर मौजूदगी में परिवर्तन यात्रा के दौरान पंडाल खाली पड़े रहे और भीड़ भी आशा के अनुरूप नहीं जुट पाई। पूरी परिवर्तन यात्रा के दौरान वसुंधरा राजे के समर्थक भी मौन रहे और अपनी भूमिका नहीं अदा की।
इसके बाद भी अगर केंद्रीय नेतृत्व को समझ में नहीं आता है तो फिर भाजपा को इस चुनाव में जीत की उम्मीद और सत्ता के सपने केवल मुंगेरीलाल के सपने ही साबित हो सकते हैं ?
आज भी पूरे प्रदेश में वसुंधरा राजे 70 से 80 सीटों को सीधे तौर पर प्रभावित करती है और वसुंधरा राजे की नाराजगी से इन सीटों पर भाजपा की क्या स्थिति रहेगी यह आकलन लगाया जा सकता है।