जयपुर/ राजस्थान से एमबीबीएस डॉक्टर बनने के लिए पढ़ाई के लिए यहां के विद्यार्थियों को यूक्रेन चीन आदि देशों में जाना पड़ता है लेकिन गहलोत सरकार द्वारा पहली बार प्रदेश में मेडिकल शिक्षा नीति बनाई जा रही है इसके तहत फार्च्यून फाउंडेशन राजस्थान हॉस्पिटल ग्रुप प्रताप यूनिवर्सिटी जैसे मिथुन बांध भी मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा निवेश करेंगे इससे अब राजस्थान के विद्यार्थियों को एमबीबीएस के लिए यूक्रेन और चीन नहीं जाना पड़ेगा।
राजस्थान में अभी ऐसे 5 नए प्राइवेट मेडिकल काॅलेज खोलने के प्रस्ताव आ चुके हैं। दो मेडिकल काॅलेजों को सरकार ने बड़ी जमीनें भी आवंटित की हैं।
यूक्रेन से लौटे 1029 मेडिकल विद्यार्थियों को लेकर राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र भेजा है। इसमें कहा है कि यूक्रेन से लौटे विद्यार्थियों की मदद के लिए प्रदेश के पास सीधे पावर नहीं हैं, नेशनल मेडिकल काउंसिल से लीगल राय लेकर नई केंद्र नई गाइडलाइन भेजे।
नीति बनाऐंगे यह
नीति तैयार करने के लिए अजमेर मेडिकल काॅलेज के प्राचार्य सहित 5 विशेषज्ञों का ग्रुप बनाया गया है। इसे स्टेट एक्सपर्ट ग्रुप नाम दिया गया है। चिकित्सा शिक्षा प्रमुख सचिव वैभव गालरिया के अनुसार मेडिकल काॅलेजों को जमीन आवंटन, प्रबंधकीय सीट, फीस से लेकर अन्य आधारभूत ढांचे संबंधी जो रिकमंडेशन आएंगे, विशेषज्ञों का ग्रुप उनके आधार पर नीति बनाएगा।
प्रदेश में वर्तमान स्थिति
प्रदेश में अभी मेडिकल शिक्षा की 4,350 सीटें हैं। इनमें से 2,830 सरकारी मेडिकल कालेजों, शेष 1,520 सीटें प्राइवेट मेडिकल कालेजों की हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग इन सीटों को 2,023 तक बढ़ाकर 6,000 पार पहुंचाने की कोशिश में है।